डीएनए हिंदी: अलग रह रहे पति-पत्नी का मामला कोर्ट पहुंचा. पति ने कहा कि उसका बिजनेस बंद हो गया है वह पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दे सकता है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पति को मजदूरी करके भी पत्नी को भरण-पोषण के लिए भत्ता देना होगा. गुजारा भत्ता मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला काफी अहम माना जा रहा है.
जानें सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि यदि पति शारीरिक रूप से सक्षम है तो उसे उचित तरीके से पैसे कमाकर अलग रह रही पत्नी और बच्चों के भरण-पोषण का दायित्व निभाना पड़ेगा. फिर चाहे उसके लिए मजदूरी ही क्यों ना करनी पड़े. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि CRPC की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ता का प्रावधान सामाजिक न्याय के लिए किया गया है. इसे खासतौर पर महिलाओं और बच्चों के संरक्षण के लिए कानून का रूप दिया गया है.
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क्या है गुजारा भत्ता मामला
पीड़िता पत्नी ने साल 2010 में ही पति का घर छोड़ दिया था. वह अपने बच्चों के साथ अलग रह रही थीं. इस मामले में पति ने फैमिली कोर्ट में पत्नी को गुजारा भत्ता देने से इनकार किया था. उसने इसके कारण में बिजनेस बंद होने की दलील दी थी. उसका कहना था कि उसके पास बिजनेस बंद होने के बाद आय का स्रोत नहीं है. ऐसे में वह अलग रह रही पत्नी को गुजारा भत्ता नहीं दे सकता है. इस मामले में पहले फैमिली कोर्ट ने पत्नी की गुजारा भत्ता देने की मांग को खारिज कर दिया था. इस पर भी सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट को आड़े हाथ लिया है.
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फैमिली कोर्ट को भी लिया आड़े हाथ
सुप्रीम कोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले पर उसे आड़े हाथ लिया है. सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि फैमली कोर्ट के सामने पत्नी की ओर से दिए गए साक्ष्य और रिकॉर्ड में उपलब्ध सबूतों को देखते हुए कोर्ट को इस बात को स्वीकार करने में कोई झिझक नहीं है कि प्रतिवादी के पास आय का पर्याप्त स्रोत था. फिर भी उसने गुजारा भत्ता नहीं दिया और इसे पूरी तरह नजरअंदाज किया.
हर महीने देने होंगे पत्नी को 10 हजार
इस पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखने के फैसले को भी अस्वीकार कर दिया है. अब सुप्रीम कोर्ट ने पति को आदेश दिया है कि वह पत्नी को 10 हजार और नाबालिग बच्चों को 6 हजार रुपये बतौर गुजारा भत्ता दे.
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