डीएनए हिंदी: चुनावी बॉन्ड की लेकर राजनीतिक पार्टियों पर जल्द नकेल कस सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को विवादास्पद चुनावी बांड योजना को चुनौती को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया है, जो 31 अक्टूबर को मामले की सुनवाई करेगी.
सीजेआई डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 145(4) के संबंध में उठाए गए मुद्दों के महत्व को देखते हुए मामला संवैधानिक पीठ के समक्ष जाना चाहिए. इससे पहले 10 अक्टूबर को अदालत ने कहा था कि मामले को अंतिम सुनवाई के लिए 31 अक्टूबर को सूचीबद्ध किया जाएगा. इसमें आगे कहा गया है कि अगर सुनवाई 31 अक्टूबर को समाप्त नहीं होती है तो मामले की सुनवाई 1 नवंबर को भी की जाएगी.
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चुनावी बांड योजनाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं 2017 में दायर की गईं थीं. यह योजना केंद्र द्वारा 2017 के वित्त अधिनियम में किए गए संशोधन के माध्यम से शुरू की गई थी. वित्त अधिनियम, 2017 के माध्यम से संशोधनों को चुनौती देने वाली कई याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं, इसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजनीतिक दलों के लिए अनियंत्रित फंडिंग के दरवाजे खोल दिए हैं.
चुनावी बांड के जरिए राजनीतिक पार्टियों को मिलता है पैसा
चुनावी बांड किसी भी व्यक्ति, कंपनी, फर्म या व्यक्तियों के संघ द्वारा खरीदा जा सकता है, बशर्ते वह व्यक्ति या निकाय भारतीय नागरिक हो या भारत में निगमित या स्थापित हो. ये बांड विशेष रूप से राजनीतिक दलों को चंदा देने के उद्देश्य से जारी किए जाते हैं. (PTI इनपुट के साथ)
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