डीएनए हिंदी: राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है. पिछले साल इस कानून पर 11 मई को रोक लगाई गई थी जिसे 31 अक्टूबर 2022 को बढ़ा दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा है कि वह इस कानून के प्रावधानों की समीक्षा करे और उपयुक्त कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए भरपूर समय भी दिया है. इस कानून के खिलाफ दायर कई याचिकाओं पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो सकती है. इसमें से एक याचिका एडिटर्स गिल्ड ने भी दायर की है.
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, सोमवार को इस कानून के खिलाफ 16 याचिकाओं पर सुनवाई को लिस्ट किया गया है. इस पर चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जे बी पारदीवाला की बेंच सुनाई कर सकी है. बता दें कि 31 अक्टूबर 2022 को केंद्र सरकार ने कोर्ट से और समय मांगा था और संसद के शीतकालीन सत्र का हवाला दिया था. हालांकि, तब से संसद के दो सत्र निकल चुके हैं.
यह भी पढ़ें- द केरल स्टोरी: सीएम पिनराई विजयन बोले, 'संघ परिवार के एजेंडे का प्रचार है यह फिल्म'
5 साल में 356 केस, सजा सिर्फ 12 लोगों को
दरअसल, साल 2015 से 2020 के बीच राजद्रोह की धाराओं में 356 केस दर्ज किए गए थे. 548 लोगों को गिरफ्तार किया गया था जबकि सिर्फ 12 लोग ऐसे थे जिन्हें दोषी साबित किया जा सका. इसी के खिलाफ सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिए थे कि वह इस कानून की समीक्षा करे और ऐसा होने तक राजद्रोह की धाराओं के तहत कोई भी केस दर्ज न करे.
यह भी पढ़ें- 'बृजभूषण सबसे बड़ा क्रिमिनल', धरने पर बैठे पहलवान बोले- हमारे मन की बात भी सुनें PM मोदी
इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, मेजर जनरल (रिटायर्ड) एस जी वोमबटकेरे, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और PUCL ने याचिका दायर की थी. आरोप हैं कि असहमति की आवाज को दबाने के लिए सरकार इस कानून का इस्तेमाल अपने हथियार के तौर पर कर रही थी और लोगों को जेल में डाल रही थी.
देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगल, फ़ेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम पर.