डीएनए हिंदी: अनुच्छेद 370 को खत्म किए जाने के लगभग 3 साल बाद सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई को तैयार हो गया है. इसके खात्मे को चुनौती देनी वाली सभी याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में 2 अगस्त से सुनवाई होगी. मामले की गंभीरता को देखते हुए सोमवार और शुक्रवार को छोड़कर हर दिन इस पर सुनवाई की जाएगी. शीर्ष अदालत ने कहा है कि इस केस से संबंधित सभी दस्तावेज 27 जुलाई से पहले जमा कर दिए जाएं, इसके बाद कोई भी दस्तावेज जमा करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता रहे IAS अधिकारी शाह फैसल ने अपना नाम हटाने की अपील की थी जिसे स्वीकार कर लिया गया है. सामाजिक कार्यकर्ता और JNU की छात्रनेता रही शहला रशीद ने भी याचिकाकर्ता के तौर पर अपना नाम वापस ले लिया है.
इस मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संवैधानिक बेंच बनाई है. सुप्रीम कोर्ट ने केस से जुड़े दस्तावेजों को देखने और इकट्ठा करने के लिए दो वकीलों को नोडल काउंसिल के तौर पर नियुक्त किया है. अदालत ने कहा है कि 27 जुलाई को या उससे पहले लिखित जवाब दाखिल किए जा सकते हैं, उसके बाद किसी भी तरह के दस्तावेजों को स्वीकार नहीं किया जाएगा.
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शाह फैसल और शहला रशीद ने पीछे खींचे कदम
IAS से इस्तीफा देकर फिर से सर्विस में लौटने वाले अधिकारी शाह फैसल इस मामले में मुख्य याचिकाकर्ता थे. अब शाह फैसल ने अपना नाम हटाने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांग स्वीकार करते हुए शाह फैसल का नाम हटाने को मंजूरी दे दी है. इसी तरह जेएनयू की छात्रनेता रहीं शहला रशीद ने भी अपना नाम वापस ले लिया है. अब इस केस में इन दोनों का नाम याचिकाकर्ता के तौर पर नहीं लिया जाएगा और केस भी इनके नाम से नहीं जाना जाएगा.
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इस मामले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर उब्दुल्ला ने कहा, 'यह सुनवाई तो संयोग है, हमने तो डेट रखी नहीं है. वह सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने तय की है. यहां हमारा फंक्शन हो रहा है और वहां 370 के मामले में सुनवाई होने जा रही है, शायद इसी में अच्छी बात है. उम्मीद करते हैं कि जल्द से जल्द सुनवाई खत्म हो और इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ जाए.'
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