EWS कोटे के तहत जारी रहेगा आरक्षण, सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की बेंच ने 3-2 से सुनाया पक्ष में फैसला

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 07, 2022, 11:23 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति से जुड़ी फाइल मंगाई है. 

supreme court verdict ews quota: सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने इस मामले में 3-2 से पक्ष में फैसला दिया है.

डीएनए हिंदी: आर्थिक आधार पर सामान्य वर्ग के लोगों को भी 10 फीसदी आरक्षण मिल सकेगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में 5 जजों की संवैधानिक बेंच ने 3-2 से अपना फैसला सुनाया है. इस मामले की सुनवाई 5 जजों की बेंच कर रही थी. इसमें जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी पारदीवाला ने आरक्षण के पक्ष में फैसला दिया. जबकि सीजेआई यूयू ललित और जस्टिस एस रवींद्र भट इससे असहमत दिखे. 

सभी जज इस मामले में बारी-बारी से अपना फैसला पढ़ रहे हैं. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने रहा कि जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की राय से वो भी सहमत है. जस्टिस बेला त्रिवेदी ने भी  EWS आरक्षण को मूल अधिकार का हनन नहीं माना है. उन्होंने कहा कि EWS कैटेगरी वाजिब कैटेगरी है. आर्थिक तौर पर वंचित तबके को आगे ले जाना सरकार का दायित्व है. दोनों जजों ने इसे मूल भावना के खिलाफ नहीं माना है.  

जस्टिस बेला त्रिवेदी ने कहा कि 103वें संविधान संशोधन की संवैधानिक वैधता को बरक़रार रखती हूं. इसमें SC/ST/OBC केटेगरी को बाहर रखना भेदभावपूर्ण नहीं कहा जा सकता. जस्टिस पारदीवाला ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि 75 साल बाद ये समीक्षा की ज़रूरत है कि आरक्षण का क्या फायदा हुआ. वहीं जस्टिस भट्ट की राय अलग दिखी. फैसला पढ़ते हुए उन्होंने कहा कि  SC /ST/OBC को EWS आरक्षण के दायरे से बाहर रखना भेदभावपूर्ण है. CJI ने अपने फैसले में साफ किया कि  SC /ST/ OBC समुदाय को आर्थिक आधार पर आरक्षण से बाहर रखना भेदभावपूर्ण है. उन्होंने इस मामले में जस्टिस भट्ट की राय का समर्थन किया है. इस लिहाज से ये फैसला 3-2 के बहुमत से माना जायेगा. 

क्या है EWS कोटा?
केंद्र सरकार जनवरी 2019 में संविधान में 103वां संशोधन लेकर आई थी. इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े सामान्य वर्ग के लोगों को नौकरियों और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान किया गया है. कानून के तहत आरक्षण की सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए. देश में वर्तमान समय में देखें तो अभी देशभर में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को जो आरक्षण मिलता है, वो 50 फीसदी सीमा के भीतर ही मिलता है. लेकिन सामान्य वर्ग का 10 फीसदी कोटा, इस 50 फीसदी सीमा के बाहर है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में 40 से ज्यादा याचिकाएं दायर हुई थीं. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में 27 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

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