'जेलों में जाति के आधार पर न बांटे जाएं काम', कैदियों के साथ हो रहे जातिगत भेदभाव पर SC की बड़ी टिप्पणी

| Updated: Oct 03, 2024, 03:23 PM IST

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जेलों में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करना गलत है. काम केवल जाति के आधार पर नहीं बांटा जा सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसले में जेलों में जाति आधारित भेदभाव के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है. अदालत ने कहा कि जेलों में काम का गलत तरीके से विभाजन और जातिगत भेदभाव की अनुमति नहीं दी जा सकती. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल जनवरी में उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल समेत 11 राज्यों से याचिका पर जवाब मांगा था. इस याचिका में कई राज्यों के जेलों में हो रहे भेदभाव का उल्लेख किया गया था.

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि जेलों में निचली जातियों के कैदियों को सफाई जैसे काम सौंपना और उच्च जातियों को खाना पकाने का काम देना साफ तौर पर भेदभाव है.कोर्ट ने इस पूरे मामले को संविधान के आर्टिकल 15 का उल्लंघन भी माना है. अदालत ने कुछ राज्यों के जेल मैनुअल में मौजूद भेदभाव वाले प्रावधानों को खारिज कर दिया और सभी राज्यों को निर्देश दिया कि वे अपने जेल मैनुअल के प्रावधानों में संशोधन करें.

रिपोर्ट पेश करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया कि वे इस फैसले का पालन करें. कोर्ट ने इन सभी राज्यों से अदालत के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया है. अदालत ने जाति आधारित भेदभाव, बंटवारे और कैदियों को जाति के अनुसार अलग-अलग वार्डों में रखने की प्रथा की भी कड़ी निंदा की है.

 

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जेलों में मानवाधिकार का सम्मान
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी जातियों के कैदियों के साथ समान और मानवीय तरीके से व्यवहार किया जाना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि कैदियों को जेल में काम का सही बंटवारा मिलना उनका अधिकार है. अदालत ने स्पष्ट किया कि कैदियों को खतरनाक परिस्थितियों में जैसे कि सीवर टैंकों की सफाई करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. साथ ही, पुलिस को जाति के आधार पर भेदभाव के मामलों में ईमानदारी से कार्य करने का निर्देश दिया गया है.

सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि जेलों में जाति के आधार पर काम का बंटवारा करना गलत है. काम केवल जाति के आधार पर नहीं बांटा जा सकता. कोर्ट ने कहा कि यह आश्चर्यजनक है कि सफाई का काम सिर्फ अनुसूचित जाति के कैदियों को सौंपा गया है, जबकि खाना बनाने का कार्य अन्य जातियों के कैदियों को दिया गया है.

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