डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट ने तलाक के मामले में एक बड़ा फैसला दिया है. अभी तक तलाक की अर्जी के बाद पति-पत्नी को कुछ हफ्तों तक साथ रहना होता था. अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अगर दोनों पक्ष यानी पति और पत्नी राजी हों तो इंतजार की जरूरत नहीं है. ऐसे में 'संबंध सुधरने का इंतजार' करने की जरूरत नहीं है और पति-पत्नी तुरंत अलग हो सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने सोमवार को सुनवाई के दौरान कहा कि संविधान के आर्टिकल 142 के तहत उसे यह अधिकार है कि कोई भी न्यायोचित फैसला दे सकता है.
इस मामले पर जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई की. इस बेंच में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस ए एस ओका, जस्टिस विक्रमनाथ और जस्टिस जे के माहेश्वरी भी शामिल हैं. बेंच ने कहा, 'हमने व्यवस्था दी है कि सुप्रीम कोर्ट के लिए किसी शादीशुदा रिश्ते में आई दरार के भर नहीं पाने के आधार पर उसे खत्म करना संभव है. अनुच्छेद 142 के तहत सुप्रीम कोर्ट को इसका अधिकार है.'
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तलाक के लिए नहीं करना होगा इंतजार
जस्टिस खन्ना ने संविधान बेंच का फैसला पढ़ते हुए कहा, 'ऐसे मामले में फैमिली कोर्ट जाने की जरूरत नहीं होगी जिसमें रिश्ते सुधरने की कोई गुंजाइश बची न हो. फैमिली कोर्ट में तलाक के लिए 6 से 18 महीनों तक इंतजार करना पड़ता है.' सुप्रीम कोर्ट ने कुछ गाइडलाइन भी तय की हैं. तलाक के फैसले पर विचार करते हुए इनका ध्यान रखना होगा.
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बता दें कि जून 2016 में तलाक के एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने यह मामला संविधान बेंच को भेज दिया था. इस मामले में सितंबर 2022 में ही सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पूरी हो गई थी और फैसला सुरक्षित रख लिया गया था.
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