डीएनए हिंदी: देश की सर्वोच्च अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट आज कुछ ऐसे मामलों में फैसला सुनाने वाली है जो राजनीतिक रूप से काफी अहम हो सकते हैं. एक तरफ दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया की जमानत का फैसला है. दूसरी तरफ, महाराष्ट्र में 16 विधायकों की अयोग्यता का मामला है और इन 16 में खुद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम शामिल है. पार्टी बदलने के कारण अयोग्यता की कार्यवाही का सामने कर रहे इन विधायकों के मामले में सुनवाई से ठीक पहले महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि अगर विधायक अयोग्य भी साबित होते हैं तो एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने रहेंगे और उनको एमएलसी बनाया जाएगा.
मनी लॉन्ड्रिंग और आबकारी नीति में घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किए आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपनी सुनवाई पूरी करके फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज फैसला सुनाया जाएगा कि उन्हें जमानत मिलेगी या नहीं. हालांकि, सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा भी था कि इस तरह से बिना कोई आरोप साबित किए लंबे समय तक किसी को जेल में नहीं रखा जा सकता है. बता दें कि मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने इसी साल 26 फरवरी को और ईडी ने 7 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था.
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जेल से बाहर आएंगे मनीष सिसोदिया?
सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था, 'मनीष सिसोदियो को सलाखों के पीछे रखने की कोई जरूरत नहीं है. वह राजनीतिक और सार्वजनिक जीवन से जुड़े हैं इसलिए उनके भागने का कोई खतरा नहीं है. आबकारी नीति समितियों द्वारा विचार-विमर्श करके पारदर्शी तरीके से बनाई गई थी. उस समय के उपराज्यपाल ने खुद ही इसकी मंजूरी भी दी थी.' इस मामले में ईडी का कहना है कि मनीष सिसोदिया प्रभावशाली व्यक्ति हैं और अगर उन्हें जमानत दी जाती है तो इसका असर केस पर पड़ सकता है.
महाराष्ट्र के विधायकों का क्या होगा?
दूसरी तरफ, महाराष्ट्र में शिवेसना को तोड़कर सत्ता के साथ गए विधायकों और एनसीपी में भी ऐसा ही करने वाले विधायकों की अयोग्यता के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की गई थी कि महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर इस पर जल्द फैसला लें. सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर राहुल नार्वेकर को कहा था कि इस मामले में वह सुनवाई करें और कोर्ट को विस्तार से बताएं कि वह कब और कैसे इस मामले का निपटारा करेंगे.
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आपको बता दें कि विधायकों की अयोग्यता पर अंतिम फैसला विधानसभा के स्पीकर का होता है. अगर स्पीकर यह मानता है कि विधायकों ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है तो उनकी सदस्यता समाप्त की जा सकती है.
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