Same Sex Marriage: समलैंगिक विवाह पर सुप्रीम कोर्ट, 'हम नहीं बना सकते कानून', सरकार को दिए कमेटी बनाने के निर्देश

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Oct 17, 2023, 11:54 AM IST

Representative Image

Supreme Court on Same Sex Marriage: भारत की सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच ने समलैंगिक विवाह की कानूनी मान्यता पर अपना फैसला सुना दिया है.

डीएनए हिंदी: सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच संविधान बेंच पर अपना फैसला सुना रही है. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस ने कहा है कि कानून बनाने का काम विधायिका का है इसलिए अदालत कानून नहीं बना सकती है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक विवाह के संबंध में केंद्र सरकार को कुछ निर्देश दिए हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि क्वीयर लोगों को उनके सेक्शुअल ओरिएंटेशन की वजह से भेदभाव का सामना न करना पड़े.

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि यह अदालत कानून नहीं बना सकती है, बल्कि उसका काम कानून का इंटरप्रेटेशन है. अदालत कानून लागू करवा सकती है, बना नहीं सकती. उन्होंने कोर्ट की कार्यवाही शुरू करते ही कहा कि इस मामले में कुल चार फैसले हैं. इन फैसलों में कुछ पर सहमति है और कुछ पर असहमति भी है.

यह भी पढ़ें- कल इजरायल जाएंगे जो बाइडेन, हमास के खिलाफ अमेरिका का बड़ा ऐलान

'ट्रांसजेंडर भी हेट्रोसेक्शुअल से कर सकते हैं शादी'
CJI चंद्रचूड़ ने आगे कहा, 'अगर कोई ट्रांसजेंडर व्यक्ति किसी हेट्रोसेक्शुअल व्यक्ति से शादी करना चाहता है तो ऐसी शादी को मान्यता दी जाएगी क्योंकि एक पुरुष होगा और दूसरा महिला होगी. ट्रांसजेंडर पुरुष को एक महिला से शादी करने का अधिकार है. ट्रांसजेंडर महिला को एक पुरुष से शादी करने का अधिकार है. ट्रांसजेंडर महिला और ट्रांसजेंडर पुरुष भी शादी कर सकते हैं और अगर अनुमति नहीं दी गई तो यह ट्रांसजेंडर अधिनियम का उल्लंघन होगा.'

CJI चंद्रचूड़ ने कहा है कि केंद्र सरकार एक कमेटी बनाएगी जो क्वीयर समाज के लोगों के अधिकार और उनको दी जाने वाली सुविधाएं तय करेगी. यह कमेटी इस पर भी विचार करेगी कि राशन कार्ड में क्वीयर कपल को 'परिवार' के तौर पर मान्यता दी जाएगी या नहीं. इसके अलावा, ज्वाइंट बैंक अकाउंट में क्वीयर कपल को नॉमिनेट करने, पेंशन पाने और ग्रेच्युटी पाने से जुड़े अधिकारों पर भी कमेटी विचार करेगे. इस कमेटी की रिपोर्ट को केंद्र सरकार के स्तर पर देखा जाएगा.'

यह भी पढ़ें- समलैंगिक विवाह इन देशों में वैध, फिर भारत में क्यों आ रही अड़चनें? समझें

सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा:-
-स्पेशल मैरिज ऐक्ट में कोर्ट नहीं कर सकती है बदलाव
-सरकार सुनिश्चित करे ककि समलैंगिक कपल के साथ भेदभाव न हो
-पुलिस समलैंगिक कपल को प्रताड़ित न करे
-इंटरसेक्स बच्चों को ऑपरेशन के लिए मजबूर न किया जाए
-समलैंगिक और क्वीयर कपल भी बच्चों को गोद ले सकेंगे
-केंद्र और राज्य सरकारें सुनिश्चित करें कि समलैंगिक और क्वीयर समुदाय को वस्तु और सेवाओं के लिए भेदभाव का सामना न करना पड़े 

यह भी पढ़ें- क्या बंद हो जाएगी अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी? जानिए आबकारी नीति से क्या है कनेक्शन

'कानून बनाने का काम संसद का'
चीफ जस्टिस ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, 'याचिकाकर्ता चाहते है कि कोर्ट स्पेशल मैरिज एक्ट के साथ पर्सनल लॉ में भी उनकी मांग के मुताबिक सुधार करे. कोर्ट का दायरा सीमित है. विधायिका के काम में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए. स्पेशल मैरिज एक्ट में बदलाव किया जाए या नहीं, इस पर विचार करना संसद का काम है. विधायिका के काम में कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए.'

पांच जजों की संविधान बेंच ने इस मामले पर सुनवाई की थी. इस बेंच में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस रविंद्र भट, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली भी शामिल हैं. इसी साल अप्रैल महीने में सात दिनों तक सुप्रीम कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने संबंधी दर्जनों याचिकाओं पर सुनवाई हुई थी. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.