लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. अपने बयानों के जरिए उत्तर प्रदेश की राजनीति की सरगर्मी बढ़ाने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) ने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफ़ा देने के बाद अपनी नई पार्टी बना ली है. उनकी पार्टी का नाम राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी है. सोमवार को मौर्य ने पार्टी का झंडा लांच किया. नीला, लाल और हरे रंग की पट्टी वाले इस झंडे में बीच में RSSP लिखा हुआ है. साल 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा से समाजवादी पार्टी में आए स्वामी प्रसाद मौर्य का अखिलेश यादव (SP chief Akhilesh Yadav) से भी मोह भंग हो गया है. इस बीच अखिलेश यादव का भी बयान सामने आया है.
स्वामी प्रसाद ने 13 फरवरी को सपा के महासचिव पद से इस्तीफा दिया था. इस्तीफे के 7 दिन बाद ही उन्होंने पार्टी का ऐलान कर दिया. राष्ट्रीय शोषित समाज पार्टी (RSSP) साहेब सिंह धनगर की है. बताया जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य अखिलेश यादव से लंबे समय से नाराज चल रहे थे. स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में लिखा था कि मैनें अपने हिसाब से सपा के जनाधार बढ़ाया लेकिन BJP के जाल में फंसे लोगों को वापस लाने की कोशिश करने पर सपा के नेताओं ने ही मेरे बयान को निजी बता दिया. जबकि मैं सपा का राष्ट्रीय महासचिव हूं. इसके बाद भी मेरा बयान निजी ही माना जाता है. पार्टी के अन्य राष्ट्रीय महासचिवों कुछ कहते हैं तो उसे पार्टी का बयान माना जाता है. महासचिव के पद में भेदभाव हो रहा है, तो मैं इस पद से इस्तीफा देता हूं.
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क्या बोले अखिलेश यादव?
सपा प्रमुख अखिलेश यादव से स्वामी प्रसाद मौर्य की नाराजगी को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि किसी के मन में क्या है? यह कौन सी मशीन बताएगी? लाभ लेकर तो सब चले जाते हैं. वहीं, अखिलेश यादव के इस बयान पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि नकी सरकार न तो केंद्र में है और न ही प्रदेश में है, कुछ देने की हैसियत में नहीं है. उन्होंने जो भी दिया है,वह मैं उन्हें सम्मान के साथ वापस कर दूंगा. मेरे लिए पद नहीं विचार मायने रखता है. अखिलेश यादव की कही हुई बात उन्हें मुबारक.
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बीजेपी का साथ छोड़ थामा सपा का हाथ
यूपी चुनाव 2022 के बाद स्वामी प्रसाद मौर्य समाजवादी पार्टी से जुड़े थे. इसके बाद उनके करीबी नेताओं ने भी सपा ज्वाइन कर ली थी. सपा के महासचिव पद से इस्तीफ़ा देकर उन्होंने अखिलेश यादव की परेशानी बढ़ा दी है. लोकसभा चुनाव से पहले एक तरफ सपा नेताओं को जोड़ने का प्रयास कर रही है तो वहीं बड़े जनाधार वाले नेता उनका साथ छोड़कर जा रहे हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम इकबाल शेरवानी ने इस्तीफा दे दिया है. वह भी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे. उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैंने बार-बार अनुरोध किया था कि मुस्लिम समाज को एक राज्यसभा सीट दी जाए. भले मेरे नाम पर विचार नहीं करते, लेकिन पार्टी किसी अन्य मुस्लिम को प्रत्याशी बना सकती थी लेकिन उस पर भी कोई विचार नहीं किया गया.
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