डीएनए हिंदी: तमिलनाडु की रहने वाली थारागई और उनके पिता अरविंद के लिए हर दिन स्वच्छता मिशन है. समुद्र को साफ करने और समुद्री जीवन को बेहतर बनाने के अपने मिशन पर दोनों लगे हुए हैं. ये दोनों रोजाना समुद्र की सफाई करते हैं और लोगों को जागरुक भी करते हैं. दोनों की जिंदगी का अहम हिस्सा समुद्र रहा है और ये जानते हैं कि सागर को साफ रखना धरती के लिए अहम है. पिता और बेटी की इस जोड़ी ने मिशन बना लिया है कि इन्हें समुद्र से कचड़ा, प्लास्टिक निकालन है. सफाई के इस काम के साथ ये आसपास के लोगों को भी जागरूक करते हैं. इनकी कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति के लिए अपनी ओर से कोई योगदान देना चाहते हैं.
अरविंद पेशे से स्कूबा ड्राइविंग ट्रेनर हैं और पिछले 20 वर्षों से समुद्र की सफाई कर रहे हैं. अरविंद ने समुद्र से अब तक 30 हजार किलोग्राम प्लास्टिक कचरा बाहर निकाला है. हमारे खास शो DNA TV Show से बात करते हुए उन्होंने कहा कि बचपन से ही वह समुद्र में तैरते-खेलते बड़े हुए हैं. स्कूबा ड्राइविंग सीखने के दौरान भी उन्होंने काफी वक्त समंदर में बिताया और तब उन्हें अहसास हुआ कि घूमने और छुट्टियां मनाने समुद्र किनारे आने वाले लोग इसकी सफाई को लेकर जागरूक नहीं हैं.
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बेटी को भी लगाया अपने मिशन में साथ
अरविंद ने इस मिशन में अपनी 9 वर्षीय बेटी थारागई को भी साथ लगाया है. वो अपनी बेटी को समुद्री प्रदूषण को कम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. थारागई जब 5 वर्ष की थी तब उसे अपने पिता से ही स्कूबा डाइविंग सीखने की प्रेरणा मिली थी. थारागई ने अब तक 1 हजार किलोग्राम से ज्यादा प्लास्टिक कचरा समुद्र से बाहर निकाला है. थारागाई इतनी छोटी सी उम्र से अपने स्कूल के दोस्तों को समु्द्र की सफाई और पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूक कर रही हैं.
प्लास्टिक प्रदूषण के प्रति लोगों को जागरूक करना है मिशन
अरविंद चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ी समुद्र में बढ़ते प्रदूषण को लेकर जागरुक रहे. इसलिए वो अपनी बेटी को प्लास्टिक प्रदूषण को घटाने और समुद्री जीवन को बचाने के लिए तैयार कर रहे हैं. इतनी कम उम्र में थारागई ने पिता के साथ समुद्री जीवन को संरक्षित करने का जिम्मा उठाया है. वो विलुप्त हो रहे समुद्री जीवों के संरक्षण का काम भी करती हैं. थारागई अपनी उम्र के बच्चों और बड़ों के लिए प्रेरणा है. बड़े होकर पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम उठाना चाहती है.
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