Salman Rushdie के बाद अब फिर कट्टरपंथियों के निशाने पर Taslima Nasreen, पाकिस्तान से मिल रही धमकी!

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Aug 14, 2022, 11:12 PM IST

प्रख्यात साहित्यकार तसलीमा नसरीन. (फाइल फोटो)

तसलीमा नसरीन हमेशा से कट्टरपंथियों के निशाने पर रही हैं. वह साल 1994 से ही बांग्लादेश से निर्वासन पर हैं. वह धार्मिक कट्टरपंथ के खिलाफ बेहद मुखर रही हैं.

डीएनए हिंदी: अंग्रेजी के प्रख्यात लेखक सलमान रुश्दी पर जानलेवा हमले के बाद अब बांग्लादेशी लेखिका तसलीमा नसरीन भी कट्टरपंथियों के निशाने पर हैं. तसलीमा नसरीन ने कहा है कि पाकिस्तान में एक धार्मिक नेता ने उन्हें जब से जान से मारने की अपील की है तभी से उन्हें लगातार धमकियां मिल रही हैं.

तसलीमा नसरीन को इस्लाम विरोधी टिप्पणियों के लिए पहले भी जान से मारने की धमकियां मिल चुकी हैं.
नसरीन ने एक बयान में कहा है कि वह एक धार्मिक नेता द्वारा कल पाकिस्तान में हजारों लोगों की एक रैली को संबोधित करने के बाद उनकी हत्या के आह्वान के बाद बेहद परेशान हैं.

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कट्टरपंथ और महिला उत्पीड़न के खिलाफ बुलंद आवाज हैं तसलीमा नसरीन

तसलीमा नसरीन महिलाओं के उत्पीड़न और धर्म की आलोचना पर उनके लेखन के लिए जानी जाती हैं. इस्लामिक कट्टरपंथ पर सलमान रुश्दी और तसलीमा नसरीन की सोच एक जैसी रही है. उनकी कई किताबें बांग्लादेश में प्रतिबंधित हैं. स्थिति ऐसी बन गई है वहां से उन्हें निर्वासित होना पड़ा है.

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'मुझे लोग मार सकते हैं लोग..बहुत परेशान हूं'

वह साल 1994 से ही भारत में रह रही हैं. यूरोप और अमेरिका में 10 से अधिक वर्षों तक रहने के बाद, वह 2004 में भारत आ गईं. तसलीमा नसरीन ने कहा, 'मेरे खिलाफ पहले भी कई फतवे जारी किए जा चुके हैं. यह पहली बार है कि किसी ने इतनी बड़ी सभा के सामने मेरे नाम की घोषणा की है और मांग की है कि मुझे मार डाला जाए. इससे कौन परेशान नहीं होगा?'

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'सलमान रुश्दी के बाद अब है मेरी बारी'

तसलीमा नसरीन ने कहा, 'मेरी तरफ देखो ट्विटर हैंडल पर इतने कमेंट्स आ रहे हैं कि रुश्दी के बाद अब मेरी बारी है. मैं अभी भी उलझन में हूं कि उन ट्वीट्स को डिलीट करूं या रिटेन करूं. शायद न करूं, अगर मुझे कुछ हो जाए तो लोगों को पता चल जाए. बेशक, मेरे पास सुरक्षा है लेकिन रुश्दी के साथ जो हुआ उसके बाद कोई भी असुरक्षित महसूस करेगा, नहीं?'

उदारवादी मुस्लिमों के लिए क्या है संदेश?

तसलीमा नसरीन ने कहा, 'जब भी इस्लाम के नाम पर हिंसा होती है, तो उदारवादी मुसलमानों की अजीबोगरीब चुप्पी पर वह जोर देकर कहती हैं कि उनका एक बहुत ही अलग चरित्र है.'

तसलीमा नसरीन ने कहा, 'कुछ प्रगतिशील मुसलमान हिंसा के खिलाफ हैं, वे बोलने से डरते हैं क्योंकि इससे उनकी जान को खतरा हो सकता है. लेकिन फिर, चुप्पी दो प्रकार की होती है - एक जो डर से निकलती है - और दूसरी जो बिना बोले उनका समर्थन करने से आती है.'

'इस्लाम की आलोचना का होता है बुरा नतीजा'

तसलीमा नसरीन ने कहा, 'कई धर्म धीरे-धीरे विकसित हुए हैं, समय के साथ बदल गए हैं और पुरुषों और महिलाओं को समान समझना शुरू कर दिया है, इस्लाम की आलोचना होने पर भी गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.'

उन्होंने कहा, 'अगर मैं इस्लाम की आलोचना करती हूं, तो निश्चिंत रहें, मुझ पर हमला किया जाएगा. दुख की बात है कि , इसे आलोचना से मुक्त कर दिया गया है हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि इस्लामी शासन का उपयोग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भी किया गया है.'

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तसलीमा नसरीन ने कहा, 'समानता और न्याय पर आधारित कानूनों के बजाय, उनके खिलाफ नियम हैं. कट्टरपंथी और आतंकवादी बनने के लिए बच्चों का ब्रेनवॉश किया जा रहा है. तो आप बदलाव की उम्मीद कैसे कर सकती हैं?'

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