डीएनए हिंदी: गूगल, फेसबुक, ट्विटर और इस तरह के कई सोशल मीडिया (Social Media) और डिजिटल प्लैटफॉर्म न्यूज़ पब्लिशर्स (News Publishers) के ओरिजिनल कॉन्टेंट को शेयर करते हैं. इससे इन कंपनियों को जो कमाई होती है उसमें न्यूज़ पब्लिशर्स या अन्य मीडिया कंपनियों को कोई हिस्सा नहीं मिलता है. इसके उलट, अगर कोई मीडिया हाउस अपनी खबरों को प्रमोट करवाना चाहता है तो उसे इन कंपनियों को ही पैसा देना पड़ता है. भारत सरकार ऐसी योजना बना रही है जिसके तहत गूगल (Google) और फेसबुक (Facebook) जैसी कंपनियों को न्यूज़ पब्लिशर्स को भी पैसा देना होगा. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, फ्रांस और स्पेन जैसे देशों में यह इस तरह के नियम पहले से लागू हो चुके हैं.
आने वाले समय में भारत सरकार डिजिटल मीडिया को लेकर कई तरह के नियम बनाने की तैयारी में है. इसी क्रम में डिजिटल न्यूज़ क्रिएटर्स को सोशल मीडिया कंपनियों से राजस्व दिलाना भी शामिल है. इसके लिए भारत सरकार अपनी नीति बनाने पर काम कर रही है. सरकार का तर्क है कि अभी जिस तरह से काम हो रहा है उससे भारतीय मीडिया कंपनियों को फायदा नहीं हो पाता है जबकी ओरिजिनल कॉन्टेंट उनका होता है.
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IT कानून में बदलाव की तैयारी
इस बारे में आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स के राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर कहते हैं, 'इन बदलावों को लागू करने के लिए भारत सरकार मौजूदा आईटी कानून में संशोधन करने की योजना पर काम कर रही है. अभी के नियमों के हिसाब से डिजिटल एडवर्टाइजिंग में बड़ी टेक कंपनियां ज्यादा ताकतवर हैं. इसकी वजह से भारतीय मीडिया कंपनियों को नुकसान सहना पड़ता है. यही कारण है कि हम इस बारे में कानून पहलुओं और नियमों का अध्ययन कर रहे हैं.'
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राजीव चंद्रशेखर आगे कहते हैं, 'सोशल मीडिया और टेक प्लैटफऑर्म भारत में तेजी से आगे बढ़े हैं लेकिन इससे ऑनलाइन कॉन्टेंट क्रिएटर्स को ज्यादा फायदा नहीं हो पाया है और उन्हें इससे कमाई भी नहीं हो पा रही है. न्यूज़ पब्लिशर्स इस बारे में कंपनियों से कोई मांग भी नहीं कर पाते हैं. इसलिए इस बारे में कानून बनाकर ही आगे बढ़ा जाएगा. हालांकि, ऐसी कोई योजना नहीं है कि इन बड़ी कपनियों को स्थानीय खबरों के लिए भी पैसे देने पड़ें.'
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