त्रिपुरा में बनेगा टिपरालैंड? टिपरा मोठा के चीफ प्रद्योत देबबर्मा ने अमित शाह से की मुलाकात

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Mar 08, 2023, 10:57 PM IST

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प्रद्योत किशोर देबबर्मा की टिपरा मोठा पार्टी ने त्रिपुरा की 60 सदस्यीय विधानसभा सीटों में से 42 पर चुनाव लड़ा और 13 सीटें जीती थीं.

डीएनए हिंदी: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष जे. पी. नड्डा की उपस्थिति में टिपरा मोठा के प्रमुख प्रद्योत किशोर देबबर्मा के साथ त्रिपुरा के मूल निवासियों के सामने आने वाले विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की. देबबर्मा ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने त्रिपुरा के मूल निवासियों के लिए संवैधानिक समाधान की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इस प्रक्रिया के लिए निश्चित समय सीमा के अंदर एक वार्ताकार नियुक्त किया जाएगा.

भाजपा के पूर्वोत्तर मामलों के समन्वयक संबित पात्रा ने कहा कि कई मुद्दों को लेकर देबबर्मा ने ब्योरा दिया जिसे अमित शाह ने ध्यान से सुना और बैठक में मौजूद मुख्यमंत्री माणिक साहा से अनुरोध किया कि वह सत्तारूढ़ सहयोगी दल आईपीएफटी के साथ-साथ टिपरा मोठा और सामाजिक संगठनों से बातचीत करके समस्याओं का सौहार्दपूर्ण समाधान खोजें. हालांकि, एक सवाल के जवाब में पात्रा ने स्पष्ट किया कि टिपरा मोठा के साथ राजनीतिक गठबंधन या उसे मंत्रिपद देने पर कोई चर्चा नहीं हुई और यह चर्चा जनजातीय कल्याण तक सीमित थी.

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टिपरा मोठा ने जीती 13 सीट
उन्होंने कहा, “हम सिलसिलेवार बैठकों के माध्यम से मूल निवासियों की समस्याओं का समाधान खोजने की उम्मीद करते हैं.” देबबर्मा द्वारा गठित टिपरा मोठा ने हाल में 60 सदस्यीय विधानसभा की 42 सीट पर चुनाव लड़ा और 13 सीट जीतकर दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी. देबबर्मा ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा, 'मैं धरती पुत्रों की वास्तविक समस्याओं को समझने के लिए गृह मंत्री को धन्यवाद देता हूं. हमने ब्रू समझौते पर हस्ताक्षर करके 23 साल बाद अपने राज्य में अपने ब्रू लोगों का सफलतापूर्वक पुनर्वास किया और आज हमने यह सुनिश्चित करने के लिए एक महत्वपूर्ण संवाद शुरू किया है कि हमारा अस्तित्व सुरक्षित रहे. गठबंधन और मंत्रिमंडल जैसे मुद्दों पर कोई चर्चा नहीं हुई, सिर्फ हमारे 'डोप' (समाज) के हित की चर्चा हुई.” 

त्रिपुरा के पूर्व शासक परिवार के वंशज देबबर्मा लंबे समय से ‘तिप्रसा’ नाम से एक अलग राज्य बनाने की अपनी पार्टी की मांग के संवैधानिक समाधान का अनुरोध कर रहे हैं. एक ओर, भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह छोटे राज्य त्रिपुरा के विभाजन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है, वहीं उसके नेताओं ने त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद को अधिक विधायी, वित्तीय और कार्यकारी शक्तियां देने की इच्छा व्यक्त की है. त्रिपुरा जनजातीय स्वायत्त परिषद फिलहाल अस्तित्व में है और राज्य में जनजातीय समुदायों के प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में मामलों को देखती है. (इनपुट- भाषा)

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