तिरुपति मंदिर लड्डू विवाद मामले में केंद्र सरकार ने बड़ा एक्शन लिया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को घी सप्लाई करने वाली एक कंपनी को कारण बताओ नोटिस भेजा है. मंत्रालय ने चार कंपनियों के सैंपल लिए थे, जिनमें से एक कंपनी का सैंपल क्वालिटी टेस्ट में फेल हो गया. उसके घी में मिलावट की बात सामने आई है. सरकार ने अभी कंपनी का नाम उजागर नहीं किया है.
उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने सोमवार को कहा कि उनका विभाग भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) की रिपोर्ट मिलने के बाद ही बाजार में घी की गुणवत्ता की निगरानी के लिए अतिरिक्त उपायों पर विचार करेगा. उन्होंने कहा, ‘हम एफएसएसएआई की रिपोर्ट का इंतजार करेंगे. निधि खरे इस बात पर जोर दिया कि खाद्य सुरक्षा एफएसएसएआई के अधिकार क्षेत्र में आती है. हम सभी को FSSAI की कार्रवाई का इंतजार करना चाहिए.’
त्योहारी मौसम से पहले घी की गुणवत्ता की संभावित जांच के बारे में पूछे जाने पर खरे ने कहा, ‘एफएसएसएआई की रिपोर्ट के बाद अगर जरूरी हुआ तो हम और अधिक कार्रवाई करेंगे, बशर्ते राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) पर उपभोक्ता शिकायतें प्राप्त हों.’
केवल नंदिनी घी के इस्तेमाल
कर्नाटक ने मंदिर के प्रसादम की जांच अनिवार्य कर दी है. उसने मंदिर का प्रसाद तैयार करने के लिए केवल नंदिनी घी के इस्तेमाल का निर्देश जारी किया है. वहीं, उत्तर प्रदेश में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने जांच के लिए मथुरा के प्रमुख मंदिरों से 'प्रसादम' के 13 नमूने एकत्र किए.
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यह मामला तब सामने आया जब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया कि वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य की पूर्ववर्ती सरकार के शासन में तिरुपति मंदिर में प्रसाद के लिए बनाए जाने वाले लड्डुओं में जानवर के चर्बी वाले घी का इस्तेमाल किया गया था. नायडू ने बाद में मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल के गठन की घोषणा की.
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