डीएनए हिंदी: दशहरा रैली के दौरान आज मुंबई में दो ऐसे नेताओं के बीच राजनीतिक लड़ाई देखने को मिलेगी जो एक समय एक ही राजनीतिक छत के नीचे थे लेकिन पिछले साल नाटकीय रूप से ये हालात बदल गए. उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना मंगलवार को अलग अलग दशहरा रैलियों के जरिए एक बार फिर अपना अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगे.
पिछले साल जून में शिवसेना के विभाजित होने के बाद से उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) और एकनाथ शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना खुद को पार्टी संस्थापक बाल ठाकरे की विरासत के सच्चे उत्तराधिकारी के रूप में पेश करने में लगी हैं. शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना को पार्टी का नाम एवं निशान मिला है. उद्धव ठाकरे दादर के विशाल शिवाजी पार्क में अपनी पार्टी की दशहरा रैली को संबोधित करेंगे.
2024 से पहले शक्ति प्रदर्शन
मुंबई का यह स्थान इस कार्यक्रम का पारंपरिक आयोजन स्थल है जहां बाल ठाकरे चार दशक से अधिक समय तक अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भरते रहे. शिंदे की रैली दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में होगी. पिछले साल की तरह ही शुरू में इस बात को लेकर कुछ भ्रम पैदा हुआ था कि शिवाजी पार्क में रैली करने की अनुमति किस धड़े को मिलेगी. ये दो रैलियां इस मायने से भी अहम हैं कि कुछ ही महीने बाद लोकसभा चुनाव हैं और राज्य में मुंबई समेत कई शहरों में नगर निकाय चुनाव 2022 के प्रारंभ से ही लंबित हैं.
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इन रैलियों से पहले उद्धव ठाकरे गुट ने बाल ठाकरे के भाषण के कई वीडियो क्लिप जारी किये हैं , खासकर उनमें ऐसे क्लिप हैं जिनमें बताया गया है कि दल-बदलुओं के खिलाफ क्या कार्रवाई की जाए. शिवसेना (यूबीटी) के कार्यकर्ताओं ने व्यापक रूप से इन वीडियो क्लिप को साझा किया है. अपनी रैली के बारे में शिंदे गुट के टीजर (इश्तहार) में बाल ठाकरे के ऐसे भाषण हैं जहां उन्होंने हिंदुत्व की बड़ी ही दृढ़ता से पैरवी की है.
शिंदे गुट पर लगाया ‘गद्दार’ ठप्पा
उद्धव ठाकरे गुट ने लगातार शिंदे गुट के सदस्यों को ‘गद्दार’ बताया है जबकि शिंदे गुट का दावा है कि हिंदुत्व का परित्याग कर पूर्व मुख्यमंत्री (ठाकरे) ने भाजपा से नाता तोड़ा और कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) से हाथ मिला लिया. पिछले साल शिंदे और कई पार्टी विधायकों ने बगावत कर उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महा विकास आघाड़ी सरकार गिरा दी, जिसके बाद शिवसेना विभाजित हो गई. शिंदे की अगुवाई में शिवसेना के अलग हुए गुट ने भारतीय जनता पार्टी के सहयोग से राज्य में सरकार बनाई.
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