डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और उनके परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court) में एक याचिका दायर करके मांग की गई है कि उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के लोगों के खिलाफ सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जांच करवाई जाए. याचिका में उद्धव ठाकरे, उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे और उनके बेटों आदित्य ठाकरे और तेजस ठाकरे के खिलाफ अवैध संपत्ति का आरोप लगाया गया है. इस मामले में हाई कोर्ट में आज सुनवाई होगी.
यह आपराधिक जनहित याचिका गौरी और अभय भिड़े ने दायर की है. इन लोगों ने आरोप लगाए हैं कि ठाकरे परिवार के लोगों ने अवैध तरीके से पैसे कमाए हैं. आरोप लगाने वाले अभय भिड़े शिवसैनिकों के गढ़ कहे जाने वाले दादर के निवासी हैं. याचिका में सिडको ट्रस्ट प्रबोधन प्रकाशन यानी सामना अखबार के मालिक और पब्लिशर के लिए दी गई जमीन के बारे में आरोप लगाए गए हैं.
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'लॉकडाउन में भी कमा लिए करोड़ों रुपये'
इस याचिका में कहा गया है कि ट्रस्ट की हिस्सेदारी में बदलाव कर दिया गया और यह जमीन ठाकरे की हो गई. याचिका में यह भी कहा गया है कि कोरोना के लॉकडाउन के दौरान ठाकरे की कंपनी प्रबोधन प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड ने 42 करोड़ का कारोबार किया जिसमें आश्चर्यजनक तरीके से 11.5 करोड़ रुपये का फायदा हो गया. याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह पूरी तरह से काले धन को सफेद करने का मामला है.
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उन्होंने यह भी कहा है कि बीएमसी और अन्य स्रोतों से इकट्ठा किए गए बेहिसाब पैसे को प्रबोधन प्रकाशन के ज़रिए सफेद किया गया और फर्जी आंकड़े दिखाए गए. मांग की गई है कि इस मामले की जांच सीबीआई और ईडी से करवाया जाए ताकि हकीकत सामने आ सके. याचिकाकर्ताओं को कहना है कि ठाकरे परिवार के पास करोड़ों रुपये की अवैध और बेनामी संपत्तियां भी हैं.
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