जम्मू-कश्मीर की उधमपुर लोकसभा सीट पर इस बार का चुनाव काफी रोमांचक हो गया है. चुनाव से ठीक पहले पूर्व सांसद लाल सिंह की कांग्रेस में वापसी हुई है. मौजूदा सांसद डॉ. जितेंद्र सिंह दो बार यहां से चुनाव जीतने के बाद तीसरी बार भी मैदान में हैं. ऐसे में लाल सिंह और जितेंद्र सिंह के बीच यह मुकाबला रोचक हो गया है. इस बार इस सीट पर पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी (PDP) और नेशनल कॉन्फ्रेंस चुनाव नहीं लड़ रही हैं और INDIA गठबंधन की सहयोगी के नाते ये पार्टियां कांग्रेस का समर्थन करेंगी. लाल सिंह के नामांकन के समय भी इन पार्टियों के नेता मौजूद रहे.
बीजेपी और कांग्रेस के अलावा गुलाम नबी आजाद की पार्टी डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी ने भी अपना उम्मीदवार उतारा है. ऐसे में कांग्रेस को वह नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. पहले रियासी क्षेत्र इसी सीट में आता था लेकिन अब उसे जम्मू लोकसभा सीट में जोड़ दिया गया है. नए परिसीमन के चलते राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं. जिन इलाकों में कांग्रेस का प्रभाव हुआ करता था उनके इस सीट से कट जाने के चलते कांग्रेस को नए सिरे से चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है.
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कैसा रहा है उधमपुर का इतिहास
इस सीट पर अभी तक हुए कुल 15 चुनावों में से 5 बार बीजेपी तो 10 बार कांग्रेस को जीत हासिल हुई है. 2004 और 2009 में कांग्रेस के लाल सिंह ही यहां से सांसद बने थे. हालांकि, 2014 में कांग्रेस ने उनका टिकट काटकर गुलाम नबी आजाद को चुनाव लड़ा था. गुलाम नबी आजाद डॉ. जितेंद्र सिंह से हार गए थे. 2019 में कांग्रेस ने विक्रमादित्य सिंह को मौका दिया लेकिन जितेंद्र ने उन्हें बड़े मार्जिन से हराया.
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2019 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कुल 11.82 लाख वोट डाले गए थे. इसमें से डॉ. जितेंद्र सिंह को 61.38 प्रतिशत यानी 7.24 लाख वोट मिले. वहीं, दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस के विक्रमादित्य सिंह को 3.67 लाख वोट मिले थे. भारी अंतर से हारने के बावजूद कांग्रेस को उम्मीद है कि लाल सिंह के आने से उसे यहां संजीवनी मिलेगी और PDP के साथ अन्य पार्टियों के सहयोग से वह यहां जीतने में कामयाब होगी.
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