Nirav Modi को भारत लाने का रास्ता साफ, British HC ने खारिज की प्रत्यर्पण रोकने की याचिका

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 09, 2022, 05:15 PM IST

Nirav Modi भारत में करीब 14,000 करोड़ रुपये के PNB Loan Scam में भगोड़ा घोषित हैं. ब्रिटिश हाई कोर्ट ने प्रत्यर्पण रोकने की याचिका खारिज कर दी है.

डीएनए हिंदी: भगोड़े आर्थिक अपराधी नीरव मोदी (Nirav Modi) की प्रत्यर्पण रोकने की अपील को यूके के उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया है. यूके उच्च न्यायालय ने नीरव मोदी की याचिका को खारिज करते हुए धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना करने के लिए भारत को प्रत्यर्पण का आदेश दिया है. उच्च न्यायालय ने अनुमानित 2 बिलियन डॉलर के पंजाब नेशनल बैंक लोन घोटाला मामले में नीरव मोदी की याचिका के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है.

पिछले महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय ने कहा था कि भारत को एक मित्र विदेशी शक्ति मानते हुए यूके को अपने प्रत्यर्पण संधि दायित्वों का सम्मान करना चाहिए. 

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अदालत ने कहा था कि सरकार को भारतीय पक्ष के इस आश्वासन पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि वे हीरा कारोबारी को मुंबई की आर्थर रोड जेल में पर्याप्त चिकित्सा सुविधा दी जाएगी. बता दें मोदी पर धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं. 

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लॉर्ड जस्टिस जेरेमी स्टुअर्ट-स्मिथ और जस्टिस रॉबर्ट जे ने प्रत्यर्पण के खिलाफ 51 साल के नीरव मोदी की अपीलों पर अंतिम चरण की सुनवाई में एक्सपर्ट की दलीलें सुनीं. कार्डिफ यूनिवर्सिटी में फोरेंसिक मनोविज्ञान के प्रोफेसर एंड्रयू फॉरेस्टर और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में फोरेंसिक मनोविज्ञान की प्रोफेसर सीना फजेल ने दलीलें पेश कीं. दोनों मनोविज्ञानियों ने नीरव के डिप्रेशन के स्तर को आंका जिसमें आत्महत्या का अधिक जोखिम है.

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नीरव मोदी कर सकता है सुसाइड

उन्होंने साउथ पश्चिम लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में बंद नीरव मोदी के मन में चल रही बातों को लेकर अपने आकलन का खुलासा किया और कहा कि वह प्रत्यर्पित किए जाने की स्थिति में केवल खुद को जानलेवा नुकसान पहुंचाने या फांसी पर लटकने की सोचता है. फॉरेस्टर ने अदालत में कहा कि उनके आकलन के मुताबिक, नीरव मोदी के खुदकुशी करने का अत्यधिक जोखिम है.

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मुंबई की ऑर्थर जेल से डरा मोदी

हालांकि, प्रोफेसर सीना फजेल का विश्लेषण था कि वह मामूली तनावग्रस्त लगता है. उन्होंने कहा कि वह अच्छी तरह काम करता है, सवालों का सोच-समझकर जवाब देता है और इनसोम्निया, खाने-पीने की इच्छा नहीं होना या भ्रम होने जैसे गंभीर डिप्रेशन वाले लक्षण उसमें नहीं हैं. दोनों एक्सपर्ट नीरव के मानसिक स्वास्थ्य में कुछ स्थायी भावों को लेकर भी असहमत दिखे. फजेल का कहना था कि डिप्रेशन साध्य बीमारी है जिसका आशय हुआ कि अगर मुंबई की आर्थर रोड जेल के हालात उसे उतने डरावने नहीं लगे जैसा वह सोच रहा है तो उसकी हालत में सुधार हो सकता है. गौरतलब है कि भारत प्रत्यर्पित किए जाने पर नीरव मोदी को आर्थर रोड जेल में रखा जा सकता है.

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