'क्रीमिया प्रकरण भारत के लिए सबक', यूक्रेन की उप विदेश मंत्री ने चीन-पाकिस्तान को लेकर दी नसीहत

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Apr 11, 2023, 11:53 PM IST

Emine Dzhaparova

यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन जापारोवा ने कहा कि भारत उन दुश्मनों को पहचाने जो सोचते हैं कि वह कुछ भी गलत करके बच निकल जाएंगे.

डीएनए हिंदी: यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिन जापारोवा (Emine Dzhaparova) चार दिवसीय भारत दौरे पर हैं. रूस से युद्ध के बीच किसी यूक्रेनी मंत्री का यह पहला भारत दौरा है. जापारोवा ने मंगलवार को नई दिल्ली में क्रीमिया प्रकरण का उदारण देकर भारत को पाकिस्तान और चीन को लेकर आगाह किया. उन्होंने कहा कि भारत को ऐसे लोगों की पहचान करनी चाहिए जो अपने एजेंडे को बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं.

इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स को संबोधित करते हुए एमिन जापारोवा ने कहा कि पिछले साल यूक्रेन पर रूसी आक्रमण से पहले की घटनाएं इश बात का उदाहरण हैं कि खराब पड़ोसियों से कैसे निपटना चाहिए. दरअसल, चापारोवा क्रीमिया प्रकरण का उदाहरण देकर भारत को नसीहत देना चाहती हैं. क्रीमिया कभी यूक्रेन का हिस्सा हुआ करता था. लेकिन धोखे से रूस ने 2014 में उसपर कब्जा कर लिया था.

चीन-पाक को लेकर किया आगाह
उन्होंने कहा कि भारत उन दुश्मनों को पहचाने जो सोचते हैं कि वह कुछ भी गलत करके बचकर निकल जाएंगे. यूक्रेनी मंत्री ने कहा कि भारक को भी पड़ोसी पाकिस्तान और चीन से दिक्कतें हैं. अगर किसी की गलती की सजा नहीं दिया जाती और समय रहते उसे नहीं रोका जाता तो वह बड़ा नासूर बन जाता है. इसलिए भारत के भी सतर्क रहना होगा.

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रूस के साथ खड़े होने का मतलब,गलत का साथ देना
एमिन जापारोवा ने मंगलवार को कहा कि रूस के साथ खड़े होने का अर्थ इतिहास के गलत पक्ष के साथ होना है और उनका देश भारत के साथ घनिष्ठ संबंध चाहता है. जापारोवा ने कहा कि पाकिस्तान के साथ यूक्रेन के संबंध भारतीय हितों के खिलाफ नहीं हैं और पाकिस्तान के साथ उनके देश के सैन्य संबंध करीब तीन दशक पहले शुरू हुए थे. उप विदेश मंत्री ने यूक्रेन में युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि भारत एक वैश्विक नेता और जी20 के मौजूदा अध्यक्ष के रूप में शांति स्थापित करने में अहम भूमिका निभा सकता है. इसके साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई की कि भारतीय अधिकारी शीघ्र ही यूक्रेन का दौरा करेंगे.

उन्होंने कहा कि भारत के दृष्टिकोण में परिवर्तन आ रहा है और उसे यूक्रेन के साथ नए संबंध बनाने में कुछ समय लग सकता है और ये संबंध "व्यावहारिक एवं संतुलित दृष्टिकोण" पर आधारित होने चाहिए. मुझे लगता है कि मेरे जो सुझाव हैं, वे भारत के साथ बेहतर और गहरे संबंध बनाने के लिए हैं. मैंने पहल की है और अब सामने वाले को अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करनी है.

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