डीएनए हिंदी: उमेश पाल (Umesh Pal) अपहरण के करीब 17 साल पुराने मामले में माफिया अतीक अहमद (Atique Ahmad) को प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने इस मामले में अतीक अहमद के वकील सौलत हनीफ और दिनेश पासी को भी आजीवन कारावास और एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. सजा सुनने के बाद अतीक अहमद डर सताने लगा है. अतीक के वकील का दावा है कि कोर्ट में उन्होंने गुहार लगाई कि मुझे साबरमती जेल वापस भेज दिया जाए, मुझे यहां नहीं रहना. पुलिस मुझपर और मुकदमे लाद देगी.
हालांकि, अदालत ने अतीक अहमद की इस गुजारिश को नकार दिया. इसके बाद अतीक अहमद को प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में वापस भेज दिया गया. इससे पहले भी अतीक की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की कई गई थी. जिसमें अतीक के वकील ने दलील दी थी कि उसके मुव्वकिल की यूपी में जान का खतरा है. इस पर सर्वोच्च अदालत ने कहा कि यह सुप्रीम कोर्ट का मामला नहीं है, आप हाइकोर्ट जाइये. लेकिन अब उम्रकैद की सजा होने के बाद शायद ही लग रहा है कि अतीक अहमद को साबरमती जेल ले जाया जाए.
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अतीक अहमद ने खुद को मिली सजा के बारे में कहा कि वह अदालत के इस निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती देगा. प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत के मंगलवार को न्यायाधीश दिनेश चंद्र शुक्ला ने वर्ष 2006 में हुए उमेश पाल अपहरण मामले में अतीक अहमद, उसके वकील सौलत हनीफ और पूर्व सभासद दिनेश पासी समेत तीन आरोपियों को भारतीय दंड विधान की धारा 364—क के तहत दोषी करार देते हुए सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई. अदालत ने तीनों दोषियों पर 1-1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. यह रकम उमेश पाल के परिजन को दी जाएगी. अदालत ने अहमद के भाई अशरफ समेत 7 आरोपियों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है. इस मामले में कुल 11 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया था. सुनवाई के दौरान उनमें से एक की मौत हो गई थी.
अतीक अहमद के खिलाफ 100 से ज्यादा मामले
अतीक अहमद उमेश पाल हत्याकांड सहित 100 से अधिक आपराधिक मामलों में नामजद है. उसे पहली बार किसी मामले में सजा सुनाई गई है. सजा सुनने के बाद अतीक अहमद ने कहा, 'हम उच्च न्यायालय में अपील करेंगे. फैसला गलत हुआ है.' इसके पूर्व कचहरी परिसर में मौजूद वकीलों ने अतीक अहमद समेत सभी दोषियों को फांसी देने की मांग करते हुए नारेबाजी की. माफिया और पूर्व सांसद अतीक अहमद और उसके भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ को उमेश पाल के अपहरण के मामले में प्रयागराज की एमपी-एमएलए अदालत में दोपहर करीब 12 बजे पेश किया गया. अहमद को गुजरात की साबरमती जेल और अशरफ को बरेली जेल से सोमवार को प्रयागराज की नैनी केन्द्रीय कारागार में लाया गया था.
क्या था पूरा मामला?
उमेश पाल 25 जनवरी 2005 को बसपा विधायक राजू पाल की हत्या के मामले का चश्मदीद गवाह था. राजू पाल हत्याकांड मामले में अतीक अहमद आरोपी है. उमेश ने आरोप लगाया था कि जब उसने अहमद के दबाव में पीछे हटने और झुकने से इनकार कर दिया तो 28 फरवरी 2006 को उसका अपहरण कर लिया गया था. अतीक, उसके भाई अशरफ और चार अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ पांच जुलाई 2007 को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अदालत में पेश किए गए आरोप पत्र में 11 आरोपियों का जिक्र किया गया था. उमेश पाल और उनकी सुरक्षा में तैनात दो पुलिसकर्मियों की इसी साल 24 फरवरी को प्रयागराज में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. पाल की पत्नी जया की शिकायत पर प्रयागराज के धूमनगंज थाने में अहमद, उसके भाई अशरफ, पत्नी शाइस्ता परवीन, दो बेटों, सहयोगी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम और 9 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था.
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उमेश पाल की मां ने की फांसी की मांग
उमेश पाल की मां शांति देवी ने अपने बेटे के अपहरण के मामले में अहमद समेत तीन दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने पर कहा कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा था. मगर अतीक अहमद जेल में रहकर भी कुछ भी करा सकता है इसलिए वह अदालत ने निवेदन करती हैं कि उनके बेटे की हत्या के मामले में अतीक को फांसी की सजा सुनाआ जाए. उन्होंने कहा, ''मेरा बेटा शेर की तरह लड़ा. वह इस मामले में अपने फैसले का इंतजार कर रहा था. उसका मामला तय हो गया था. उसको उम्मीद थी कि अतीक को सजा मिलेगी. मगर अतीक अहमद ने जेल में रहते हुए अपने लोगों से मेरे बेटे की हत्या करा दी, इसलिए अदालत से मेरा निवेदन है कि उसे फांसी की सजा सुनाई जाए.'
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