'योगी और संत सत्ता का गुलाम नहीं...' UP CM ने क्यों कही ये बात

Written By अनामिका मिश्रा | Updated: Sep 02, 2024, 10:29 AM IST

मुख्यमंत्री ने बाबा कीनाराम की विरासत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उनकी कहानियां चमत्कारों से भरी हुई हैं. काशी में स्थापित क्रीं कुंड भारत की सभी साधना पद्धतियों को एक करने का प्रमाण है.

CM Yogi Adityanath: रविवार को चंदौली के रामगढ़ में बाबा कीनाराम की जन्मस्थली बाबा कीनाराम मठ में 425वें अवतरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'कोई भी संत या योगी कभी सत्ता का गुलाम नहीं हो सकता. इसके बजाय, वे समाज को अपने पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं. 425 साल पहले जन्म लेने के बाद बाबा कीनाराम ने दिव्य साधना के माध्यम से यही हासिल किया था.'

दिव्य साधना का परिणाम 
उन्होंने बताया कि किस तरह बाबा कीनाराम ने तत्कालीन शासक शाहजहां को फटकार कर भगा दिया था और समाज के कल्याण के लिए अनेक कार्य किए थे. योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'बाबा कीनाराम की दिव्य साधना का परिणाम आज स्पष्ट है. काशी में स्थापित क्रीं कुंड भारत की सभी साधना पद्धतियों को एक करने का प्रमाण है.' 

उपलब्धियां और साधना हमेशा राष्ट्रहित
उन्होंने आगे कहा कि भारत गुलामी में इसलिए पड़ा क्योंकि विदेशी आक्रमणकारी समाज को बांटने में सफल रहे. उन्होंने कहा, 'एक संत पूरे समाज को जोड़ता है और उन्हें अपने मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करता है. संतों और संन्यासियों की उपलब्धियां और साधना हमेशा राष्ट्रहित, समाजहित और मानव कल्याण में निहित होती हैं.' 


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कृपा से मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला
सीएम ने बाबा कीनाराम को नमन करते हुए कहा, 'मेरा कार्यक्रम सोनभद्र में था, लेकिन उनकी कृपा से मुझे यहां आने का सौभाग्य मिला. बाबा कीनाराम जन्म से ही दिव्य व्यक्तित्व थे, वो एक संपन्न परिवार में जन्मे. उन्होंने साधना के माध्यम से सिद्धियां प्राप्त कीं, लेकिन बाबा ने अपनी आध्यात्मिक उपलब्धियों का उपयोग राष्ट्र और लोगों के कल्याण के लिए किया. 

सीएम ने कहा, 'एक तरफ उन्होंने दलितों, आदिवासियों और समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट करने का काम किया. उन्होंने भेदभाव मुक्त समाज की अलख जगाई, जो किसी संत, अघोराचार्य या योगी के जरिए ही संभव था.'

सीएम ने यह भी कहा, 'जब चंदौली में मेडिकल कॉलेज बन रहा था, तो हमारे विधायक और सांसद ने प्रस्ताव रखा कि बाबा के नाम पर कुछ नाम रखा जाना चाहिए. मैंने सुझाव दिया कि मेडिकल कॉलेज ही एक सच्ची श्रद्धांजलि होगी.'

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