डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) की हर एग्जाम में सेंधमारी और पेपर लीक हो रहा है. ऐसे में UPSSSC ने अब परीक्षा प्रणाली में बदलाव करने की तैयारी में जुट गया है. पिछले दिनों ग्राम पंचायत अधिकारी प्रवेश परीक्षा में कई सॉल्वर गैंग पकड़े गए थे. अब आयोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए भी सॉल्वर गैंग को पकड़ने की तैयारी कर रहा है. आइए जानते हैं कि हाल में ही आयोग ने कैसे 300 लोगों को कैसे पकड़ा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, UPSSSC के चैयरमैन प्रवीर कुमार ने कहा कि किसी भी परीक्षा की शुचिता 4 तरीकों से प्रभावित की जाती है. पहला पेपर शुरू होने से पहले जो पेपर आने वाला है. वह बाहर आ जाए और सॉल्वर गैंग आंसर –की परीक्षार्थी तक पहुंचा दे. वहीं, दूसरा तरीका यह है कि पेपर के दौरान असली आदमी ना बैठकर सॉल्वर परीक्षा देने के लिए बैठ जाए. इसके साथ उन्होंने बताया कि एग्जाम सही व्यक्ति देता है लेकिन वह कोई ऐसी ब्लूटूथ या कुछ और डिवाइस दे दी जाती है. उन्हें बाहर बैठे व्यक्ति द्वारा सवालों का जवाब दिया जाता है.
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ऐसे पकड़े गए नकलची
सॉल्वर गैंग से निपटने के लिए हर क्वेश्चन पेपर की 8 सीरीज A,B,C,D,E,F,G, H तक बनते थे लेकिन अब आयोग ने सीरीज नंबर छापना ही बंद कर दिया है. अब किसी भी परीक्षा में कितनी सीरीज बनेगी वह आयोग को भी नहीं बताया जाएगा लेकिन किसी भी परीक्षा में 10 सीरीज या सेट से कम नहीं बनेंगे. चैयरमैन प्रवीर कुमार ने बताया कि उसका फायदा यह हुआ कि जो बच्चा एग्जाम दे रहा है, उसको नहीं पता है कि यह क्वेश्चन पेपर किस सीरीज का है. उसे सिर्फ 9 डिजिट का एक नंबर दिखाई पड़ता है जो कोडिफाइड होता है. इसके जरिये आयोग ने पिछले एग्जाम में 200 नकलची पकड़ा.
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आर्टीफीशियल इंटेलीजेंस से पकड़े जा रहे सॉल्वर गैंग
हले परीक्षा के दौरान परीक्षार्थी का सिर्फ बायोमेट्रिक कैप्चर करते थे लेकिन अब ब कैंडिडेट का बायोमेट्रिक लिया जाता है तो उसका फोटो भी खींचा जाता हैं और आइरिस स्कैन भी करते हैं. फोटो का मिलान फॉर्म में अपलोड की गई फोटो से किया जाता है. जिसको आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ट सॉफ्टवेयर डिटेक्ट करता है. उस सॉफ्टवेयर से पता चल जाता है कि फोटो किसी और की होती है और दूसरा व्यक्ति फोटो लगा कर आया है.
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