Madrasa Row: मदरसों के सर्वे पर मदनी को ऐतराज, बोले- पहले 'फर्जी' शिक्षण संस्थानों का सर्वेक्षण हो

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Sep 13, 2022, 09:34 PM IST

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी. (फाइल फोटो)

Jamiat Ulema-e-Hind: यूपी में करीब 16,000 निजी मदरसे हैं जिनमें प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल हैं.

डीएनए हिंदी: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मदरसों के सर्वेक्षण (Madarsa Survey) की तैयारी को लेकर खड़े हुए विवाद के बीच प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-Hind)  ने मंगलवार को कहा कि यह कदम उठाने से पहले मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लिया जाना चाहिए था. 

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी (Arshad Madani) ने एक बयान में यह सवाल भी किया कि मदरसों के अलावा उन शिक्षण संस्थानों का सर्वेक्षण क्यों नहीं किया जा रहा है जो मान्यताप्राप्त नहीं हैं? 

अरशद मदनी ने आरोप लगाया है कि विभाजनकारी ताकतों द्वारा मदरसों को निशाना बनाया जा रहा है और इस तरह की मानसिकता की वजह से मुसलमानों की जेहन में चिंता है. 

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'मुस्लिम समुदाय को भरोसे में लेना चाहिए था'

अरशद मदनी ने कहा, 'सर्वेक्षण के ऐलान से पहले मुस्लिम समुदाय और संगठनों को भरोसे में लिया जाना चाहिए था. यह बता दिया जाता कि सर्वेक्षण से कोई नुकसान नहीं है. अगर हमें यह बता दिया जाता कि सरकार यह जानना चाहती है कि कितने ऐसे मदरसे हैं जो बोर्ड से संबद्ध नहीं हैं, बच्चे क्या पढ़ रहे हैं, मदरसे की ज़मीन किन लोगों की है. इन तमाम चीज़ों को मालूम किया जाए तो इसमें कोई ऐतराज़ नहीं है. पहले दिलों को संतुष्ट करना चाहिए.'

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क्या है यूपी सरकार का मदरसों पर आदेश?

उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 31 अगस्त को राज्य में संचालित सभी गैर मान्यता प्राप्त निजी मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था. इसके लिए 10 सितंबर तक टीम गठित करने का काम खत्म कर लिया गया है. 

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समाचार एजेंसी भाषा के मुताबिक 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया है. प्रदेश में इस वक्त लगभग 16 हजार निजी मदरसे हैं जिनमें प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल हैं. राज्य सरकार के फैसले के बाद अब इनका भी सर्वे किया जाएगा.

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