UP Lift Act: यूपी में पास हुआ लिफ्ट एक्ट, जानिए क्या हैं नियम

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Feb 10, 2024, 07:16 AM IST

UP Lift Act

UP Lift Act Explained: उत्तर प्रदेश की विधानसभा ने लिफ्ट एंड एस्केलेटर बिल को पास कर दिया है. इसके तहत कई सख्त नियम बनाए गए हैं.

बीते कुछ साल में लगातार हो रहे लिफ्ट हादसों के बाद उत्तर प्रदेश विधानसभा में लिफ्ट एंड एस्केलेटर एक्ट पास हो गया है. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सदन में लिफ्ट विधेयक पेश किया. इस विधेयक को पूरे सदन ने सर्वसम्मति से पास कर दिया गया. नए नियमों के मुताबिक, थर्ड पार्टी इंश्योरेंस करवाना, ऑटो रेस्क्यू डिवाइस लगाना और लिफ्ट लगाने से पहले सरकार से अनुमति लेना जरूरी होगा.

इस एक्ट के अनुसार, घरेलू लिफ्ट को छोड़कर बाकी सभी जगहों पर लिफ्ट ऑपरेटर रखना अनिवार्य होगा. अब से उत्तर प्रदेश में किसी भी बहुमंजिला बिल्डिंग में लिफ्ट या एस्केलेटर लगाने के लिए इजाजत लेनी होगी और विद्युत सुरक्षा निदेशालय में रजिस्ट्रेशन करवाना होगा. उसके बाद लिफ्ट लगाने के लिए सरकार की टीम मौके पर मुआयना करेगी. ऑडिट के दौरान कुछ शर्तें रखी जाएंगी, जिनको मानना अनिवार्य होगा.

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ऑटो रेस्क्यू डिवाइस होगा जरूरी
नियम के मुताबिक अब जो लिफ्ट लगेगी, उनमें ऑटो रेस्क्यू डिवाइस लगा होगा. इसका मतलब होता है कि अगर बिजली या तकनीकी खराबी होने की वजह से लिफ्ट रुक जाती है तो नजदीकी फ्लोर पर अपने आप आकर दरवाजा खुल जाएगा.

कुछ कंपनियों की लिफ्ट में यह डिवाइस पहले से लगी होती है. अब इसे अनिवार्य कर दिया गया है. यह कानून लागू होने के बाद थर्ड पार्टी का बीमा करवाना होगा, जिससे कोई हादसा होने पर पीड़ित को भी मुआवजा दिया जाएगा.

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उत्तर प्रदेश में लिफ्ट एक्ट लागू होने के बाद सबसे बड़ा फायदा गौतमबुद्ध नगर और ग़ाज़ियाबाद ज़िले के लाखों लोगों को मिलेगा. दरअसल, गाजियाबाद के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और ग्रेटर नोएडा वेस्ट की सैकड़ों हाउसिंग सोसाइटियों में हज़ारों की संख्या में लिफ़्ट लगी हुई है, जिनके रखरखाव और मैनेजमेंट को लेकर कोई नियम-कायदे नहीं हैं. इसी वजह से इन शहरों में लिफ़्ट से जुड़े हादसे रोज़मर्रा की घटना हो गए हैं. बीते महीने ग्रेटर नोएडा वेस्ट की एक निर्माणाधीन इमारत में लिफ़्ट से जुड़ा हादसा हुआ, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई थी.

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नियमों के मुताबिक, लिफ्ट और एस्केलेटर अधिनियम के बाद दुर्घटना की स्थिति में मालिक की ओर से पीड़ित को मुआवजा दिया जाएगा. लिफ्ट और एस्केलेटर में समस्या होने पर तत्काल उसे ठीक करवाना होगा.

मालिक को साल में कम से कम दो बार मॉक ड्रिल करवानी होगी. अगर इंस्टॉलेशन और ऑपरेशन संबंधी शिकायत आती है तो मालिक या संबंधित एजेंसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी.

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