डीएनए हिंदी: दिल्ली में आबकारी नीति ही वह वजह थी जिसके चक्कर में मनीष सिसोदिया और संजय सिंह जैसे नेताओं को जेल जाना पड़ा. बाद में दिल्ली सरकार ने इस नीति को वापस भी ले लिया. अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने नई आबकारी नीति को मंजूरी दी है. नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश के रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर भी शराब के प्रीमियम ब्रांड उपलब्ध रहेंगे. वहीं, अब शराब के ठेके लेने के लिए लाइसेंस फीस में भी इजाफा कर दिया गया है. रेलवे और मेट्रो स्टेशनों पर शराब बेचने की योजना पर सवाल उठाते हुए समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने सवाल उठाए हैं कि क्या उत्तर प्रदेश को 1 ट्रिलियन की इकोनॉमी वाला राज्य बनाने के लिए यही रास्ता बचा है?
2024-24 के लिए जारी की गई आबकारी नीति के तहत लाइसेंस फीस में इजाफा किया गया है और अब लाइसेंस लेने के लिए 10 प्रतिशत ज्यादा पैसे देने होंगे. देसी शराब के लिए लाइसेंस फीस 254 रुपये प्रति लीटर और ड्यूटी 30 रुपये से बढ़ाकर 32 रुपये प्रति लीटर कर दी गई है. नई नीति के तहत यह भी कहा गया है कि अब पुलिस किसी भी शराब की थोक या फुटकर दुकान को सील नहीं कर सकेगी.
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DM की अनुमति के बाद ही होगा ऐक्शन
जिलाधिकारी से अनुमति लेने के बाद ही शराब की दुकान पर कार्रवाई की जा सकेगी. अगर आबकारी विभाग के अधिकारियों और लाइसेंस जारी करने वाले जिलाधिकारियों द्वारा तय अधिकारियों को छोड़कर कोई अन्य एजेंसी या अधिकारी शराब, बीयर या भांग की दुकानों पर छापेमारी करते हैं तो इसकी अनिवार्य रूप से वीडियोग्राफी करानी होगी.
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साथ ही , शादी ब्याह और अन्य इवेंट में रात 12 बजे तक शराब परोसी जा सकेगी. बीयर की छोटी दुकानों के पास अगर 100 वर्गमीटर अलग से जगह है तो 5 हजार रुपये की अतिरिक्त फीस देकर लोगों के बैठने का इंतजाम किया जा सकेगा. इसके लिए जिलाधिकारी के अनुमोदन पर जिला आबकारी अधिकारी अनुमति देगा.
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