Uttar Pradesh News : शाहरुख खान की एक बड़ी मशहूर फिल्म थी 'ॐ शांति ॐ.' इसी फिल्म में वो एक डायलॉग बोलते हैं कि 'किसी चीज़ को अगर शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है.' कुछ ऐसा ही हुआ है उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले बबलू के साथ. दरअसल, बबलू महज चार साल की उम्र में ही अपने परिजनों से बिछड़ जाता है. लेकिन एक लंबे अरसे तक उसे अपना गांव का नाम याद था. वो हमेशा ये चाहता था कि किसी दिन वो अपने परिवार से जरूर मिलेगा और हुआ भी कुछ ऐसा ही. करीब 22 साल बाद उसकी मुलाकात अपने परिवार वालों के साथ हो गई है.
ट्रेन यात्रा के दौरान बिछड़ा था परिवार से
साल 2002 की बात है, जब बबलू महज चार साल का था. वह अपने माता-पिता के साथ ट्रेन से सफर कर रहा था और दिल्ली रेलवे स्टेशन पर गलती से उतर गया. इससे वह अपने परिवार से बिछड़ गया. काफी खोजबीन के बावजूद परिवार को उसकी कोई जानकारी नहीं मिली. बबलू के परिवार वालों ने एक लंबे समय तक उसकी तलाश की लेकिन समय के साथ उनकी उम्मीद टूटती गई. जिसके बाद परिजनों ने उसकी तलाश बंद कर दी.
बाल सुधार केंद्र में बीते 22 साल
रेलवे स्टेशन पर घूमते हुए बबलू को दिल्ली पुलिस ने पाया और उसे एक बाल सुधार गृह में भेज दिया. अगले 14 साल तक, बबलू ने वहां अपनी जिंदगी गुजारी. जिसके बाद 18 साल की उम्र में उसे बाल सुधार गृह में ही एक छोटी नौकरी मिल गई. हालांकि, वहां भी बबलू अपने गांव और परिवार को कभी नहीं भूल पाया.
‘ऑपरेशन मुस्कान’ से घर वापसी
दरअसल, इस बीच, आगरा जीआरपी की टीम 'ऑपरेशन मुस्कान' के तहत बिछड़े हुए बच्चों को उनके परिवार से मिलाने का प्रयास कर रही थी.उसी दौरान दिल्ली की एक बाल सुधार गृह में काम कर रहे टीम की नजर बबलू पर पड़ी.जब पुलिस ने उससे पूछताछ की तो बबलू ने उन्हें बताया कि वह बुलंदशहर के गांव धनौरा का रहने वाला है. जीआरपी की टीम ने इस सूचना के आधार पर तलाश शुरू की और आखिरकार बुलंदशहर जिले के धनौरा गांव को खोज निकाला. इसके बाद जब टीम ने गांव धनौरा में पूछताछ की, तो एक ग्रामीण ने बताया कि सुखदेव शर्मा का बेटा वर्षों पहले खो गया था.पुलिस ने परिवार को बबलू की तस्वीर भेजी, जिसे देखकर बबलू की मां ने तुरंत पहचान लिया. इसके बाद, बबलू की मां अंगूरी और पिता सुखदेव की वीडियो कॉल पर बात कराई गई, जिससे बबलू की पहचान पक्की हो गई.
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22 साल बाद मां के गले लगा बबलू
कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद, बबलू को उसके माता-पिता के हवाले कर दिया गया. इस दौरान 22 साल बाद अपने बेटे को देखकर माता-पिता की आंखों से खुशी के आंसू निकल गए.बहरहाल, प्रशासन की मदद से बुलंदशहर का बबलू आखिरकार अपने घर पहुंच गया है.जिसके बाद उसके घर समेत पूरे गांव में खुशी की लहर है.
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