डीएनए हिंदी: उत्तराखंड से लेकर हिमाचल प्रदेश तक पहाड़ों में बारिश कहर बरपा रही है. नदियां-नाले उफान पर हैं. भारी बारिश के चलते लैंडस्लाइड की घटनाएं सामने आ रही हैं. दोनों राज्यों में अब तक 81 लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि कई स्थानों पर मकान ढहने से घायलों को बचाने और मलबे से शव निकालने के लिए अभियान जारी है. मौसम विभाग के मुताबिक, पहाड़ी राज्यों में 17 अगस्त को भारी बारिश की उम्मीद है. इसी के मद्देनजर रेड अलर्ट जारी किया है. वहीं, पंजाब भी भारी बारिश के चलते बाढ़ की चपेट में आ गया है.
हिमाचल में 3 दिन में 31 लोगों की मौत
हिमाचल प्रदेश में बारिश के कारण पिछले तीन दिनों में कम से कम 71 लोगों की जान जा चुकी है और 13 लोग अभी भी लापता हैं. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण के काम को ‘पहाड़ जैसी चुनौती’ करार दिया है. हिमाचल प्रदेश के शिमला में समर हिल के समीप शिव मंदिर के मलबे से एक और महिला का शव बरामद होने के साथ ही बारिश से जुड़ी घटनाओं में जान गंवाने वाले 57 लोगों के शव अब तक बरामद हुए हैं. अधिकारियों ने बताया कि भूस्खलन और बाढ़ के कारण ढही इमारतों के मलबे से बुधवार को और शव निकाले जाने के बाद मरने वालों की संख्या बढ़ गई.
10 हजार करोड़ का नुकसान
हिमाचल प्रदेश में रविवार से हो रही भारी बारिश के कारण शिमला के समर हिल, कृष्णा नगर और फागली इलाकों में भूस्खलन हुए थे. प्रमुख सचिव (राजस्व) ओंकार चंद शर्मा ने कहा, ‘पिछले तीन दिनों में कम से कम 71 लोगों की मौत हो चुकी है और 13 अभी भी लापता हैं. रविवार रात से अब तक 57 शव बरामद किए जा चुके हैं.’ सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि उनके राज्य को इस मानसून में भारी बारिश के कारण बर्बाद हुए बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण में एक साल लगेगा और दावा किया कि लगभग 10,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा, ‘यह एक बड़ी चुनौती है. एक पहाड़ जैसी चुनौती.’
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कृष्णा नगर में करीब 15 मकानों को खाली कराया गया और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है. कई अन्य लोगों ने मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन की आशंका से खुद अपने घर खाली कर दिए हैं. शिक्षा विभाग ने खराब मौसम के कारण राज्य में सभी स्कूल और कॉलेज बंद रखने का आदेश दिया और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय ने 19 अगस्त तक शैक्षणिक गतिविधियां निलंबित कर दी हैं. अधिकारियों ने बताया कि राज्य में करीब 800 सड़कें अवरुद्ध हैं और 24 जून को मानसून शुरू होने के बाद से अब तक 7,200 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हो चुका है.
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उत्तराखंड में अब तक 10 की मौत, 293 लोगों रेस्क्यू
उत्तराखंड में भी लैंडस्लाइड और बादल फटने से अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं मदमहेश्वर धाम में भारी बारिश के कारण पुल बहने से वहां फंसे सभी 293 लोगों का रेस्क्यू कर लिया गया है. बचाए गए लोगों में ज्यादातर श्रद्धालु हैं. अधिकारियों ने बताया कि चमोली जिले के हेलंग में मकान ध्वस्त होने से दो सगे भाइयों की मृत्यु हो गई और पांच अन्य घायल हो गए जबकि पौड़ी जिले के मोहनचट्टी में 2 दिन पहले एक रिजॉर्ट पर भूस्खलन के बाद मलबा गिरने से दबे सभी लोगों के शव बरामद हो गए. रूद्रप्रयाग जिले के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने बताया कि मदमहेश्वर धाम में राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) और पुलिस द्वारा चलाया गया बचाव और राहत अभियान पूरा हो गया है और वहां फंसे ज्यादातर श्रद्धालुओं समेत सभी 293 लोगों को 'रोप रिवर क्रासिंग मेथड' तथा हेलीकॉप्टर के जरिए सुरक्षित निकाल लिया गया है.
पंजाब में बाढ़ से हाहाकार
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बुधवार को कहा कि उनकी सरकार बाढ़ की स्थिति पर पैनी नजर रख रही है. बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव और राहत अभियान जारी है. अधिकारियों ने बताया कि भाखड़ा और पोंग बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के बाद तीनों जिलों के कई इलाकों में जलभराव हो गया. उन्होंने बताया कि सतलुज नदी पर भाखड़ा बांध और ब्यास नदी पर पोंग बांध (दोनों हिमाचल प्रदेश में हैं) अपने-अपने जलग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश के बाद भरे हुए हैं. पंजाब में एक महीने से अधिक समय में दूसरी बार बाढ़ आई है. 9 से 11 जुलाई के बीच राज्य में हुई बारिश से पंजाब के कई हिस्से प्रभावित हुए, जिससे बड़े पैमाने पर कृषि क्षेत्रों और अन्य क्षेत्रों में पानी भर गया और जन-जीवन प्रभावित हुआ.
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सीएम भगवंत मान ने कहा कि राज्य में बाढ़ की स्थिति पूरी तरह नियंत्रण में है और सरकार हालात पर नजर रख रही है. उन्होंने अपने मंत्रियों से बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने को भी कहा. मुख्यमंत्री ने एक बयान में कहा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि पंजाब सरकार अतिरिक्त पानी छोड़े जाने के कारण हिमाचल प्रदेश सरकार और भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) के साथ लगातार संपर्क में है. पोंग बांध और रणजीत सागर बांध पर भी स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है और लोगों के जान माल की रक्षा सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. उन्होंने कहा कि बुधवार को भाखड़ा और पोंग बांधों में जल स्तर क्रमश: 1,677 फीट और 1,398 फीट था. इस बात पर जोर देते हुए कि बांधों की सुरक्षा को भी देखा जाना चाहिए, सिंगला ने कहा कि पानी छोड़ने के संबंध में कोई भी निर्णय पंजाब सरकार के परामर्श से लिया जाता है.
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