डीएनए हिंदी: उत्तराखंड (Uttarakhand) के ऐतिहासिक शहर जोशीमठ (Joshimath) में जमीन धंसने का सिलसिला बढ़ता ही जा रहा है. बीते साल नवंबर में जमीन धंसने से घरों में दरारें आने की घटनाएं सामने आई थीं. अब यहां धरती फाड़कर जगह-जगह से पानी निकलने लगा है. जोशीमठ में भू-धंसाव की समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने बड़ा फैसला लिया है. जिला प्रशासन ने हेलंग बाईपास और एनटीपीसी तपोवन विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना के निर्माण कार्यो पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है. यह रोक अगले आदेश तक जारी रहेगी.
जोशीमठ के मारवाड़ी में पिछले कई महीनों से भूस्खलन की घटनाएं हो रही थीं, जिसके बाद अचानक बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग-58 से लगे जयप्रकाश पावर प्रोजेक्ट की कॉलोनी के अंदर से पानी दीवारों के अंदर से और जमीन के अंदर से फूटकर निकलने लगा.
पलायन के बीच जारी है जोशीमठ में रेस्क्यू
उत्तराखंड के जोशीमठ शहर में कई मकानों में दरारें आने के बाद बृहस्पतिवार को परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए जाने के बीच लोगों का प्रदर्शन जारी रहा. इस बीच चमोली प्रशासन ने डूबते शहर में और उसके आसपास सभी निर्माण गतिविधियों पर बृहस्पतिवार को प्रतिबंध लगा दिया. इसके अलावा करीब 50 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया गया है.
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सड़कों पर उतरे लोग, कई जगह चक्का जाम
शहर में लोगों की परेशानियों पर प्रशासन के बेपरवाही वाले रवैये और NTPC की परियोजना जिसकी वजह से समस्या पैदा हुई है के विरोध में बंद रहा. जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने बताया कि लोग प्रशासन के विरोध में नारेबाजी करते हुए सड़कों पर उतर आए और उन्होंने चक्का जाम किया. इस दौरान व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद रहे.
क्या चाहते हैं जोशीमठ के लोग?
ADM अभिषेक त्रिपाठी धरना दे रहे आंदोलनकारियों को मनाने पहुंचे, लेकिन उनसे कहा गया कि यह तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांगों पर निर्णायक कार्रवाई नहीं हो जाती. लोगों की इन मांगों में रहवासियों का पुनर्वास, हेलांग और मारवाडी के बीच एनटीपीसी की सुरंग और बाइपास रोड का निर्माण बंद करना और इस आपदा की जिम्मेदारी एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना पर तय करना आदि हैं.
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जिला प्रशासन ने निर्माण कार्य पर लगाई रोक
जिला प्रशासन ने बाद में सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा हेलांग बाईपास के निर्माण, तपोवन-विष्णुगढ़ जल विद्युत परियोजना के कार्य और नगर पालिका द्वारा किए जाने वाले अन्य निर्माण कार्यों पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा दी.
NTPC और हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी (HCC) को भी प्रभावित परिवारों के लिए अग्रिम रूप से 2,000 प्री-फैब्रिकेटेड घर बनाने के लिए कहा गया है. जिला प्रशासन प्रभावित लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठा रहा है. जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एन के जोशी ने कहा कि अब तक घरों में दरारें पड़ने के बाद जोखिम में रह रहे 47 परिवारों को अस्थायी रूप से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया है.
शहर की स्थिति पर जारी है अधिकारियों का मंथन
गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार, आपदा प्रबंधन सचिव रंजीत कुमार सिन्हा, आपदा प्रबंधन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पीयूष रौतेला, NDRF के डिप्टी कमांडेंट रोहिताश्व मिश्रा और भूकंप न्यूनीकरण केंद्र के शांतनु सरकार और आईआईटी-रुड़की के प्रोफेसर बीके माहेश्वरी सहित वरिष्ठ अधिकारियों की एक टीम ने जोशीमठ का दौरा किया और स्थिति का आकलन करने के लिए अधिकारियों के साथ बैठक की.
एन के जोशी ने कहा कि स्थिति का विस्तृत सर्वेक्षण किया जा रहा है और विशेष रूप से जोखिम वाले घरों की पहचान की जा रही है. जिलाधिकारी हिमांशु खुराना लगातार स्थिति पर नजर रखे हुए हैं और एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस को सतर्क रहने को कहा गया है.
भूकंप के जोन 5 में आता है जोशीमठ, दरक रही है जमीन
राज्य के चमोली जिले में, बदरीनाथ और हेमकुंड के मार्ग पर 6,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित शहर भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आता है. विभिन्न इलाकों में अब तक 561 मकानों में दरारें आ चुकी हैं, जिनमें रविग्राम में 153, गांधीनगर में 127, मनोहरबाग में 71, सिंहधार में 52, परसारी में 50, अपर बाजार में 29, सुनील में 27, मारवाड़ी में 28 और लोअर बाजार में 24 मकान शामिल हैं. उन्होंने बताया कि अलग-अलग 47 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ने पर और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जाएगा.
शहर के सर्वे में जुटी स्पेशल टीम
अधिकारियों ने कहा कि जिन स्थानों पर परिवारों को ट्रांसफर किया गया है उनमें नगर पालिका भवन, एक प्राथमिक विद्यालय भवन, मिलन केंद्र और जोशीमठ गुरुद्वारा शामिल हैं. उन्होंने बताया कि कुछ परिवार अपने संबंधियों के यहां चले गए हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि जोशीमठ में स्थिति पर करीब से नजर रखी जा रही है और वह हालात का जायजा लेने स्वयं वहां जाएंगे. भूकंप के अत्यधिक जोखिम वाले ‘जोन-पांच’ में आने वाले इस शहर का सर्वे करने के लिए विशेषज्ञों का एक दल भी गठित किया गया है. (इनपुट: भाषा)
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