डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को आज 16 दिन हो गए हैं, लेकिन अभी तक उन्हें बाहर निकालने में कामयाबी नहीं मिल सकी है. सेना द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार चलाया जा रहा है. सुरंग से मजदूरों को निकालने के लिए 80 सेंटीमीटर व्यास की आखिरी 10 मीटर की पाइप बिछाने का काम पिछले चार दिनों से हो रहा है लेकिन ड्रिल करने वाली ऑगर मशीन आगे नहीं बढ़ पा रही है. अभी तक 48 मीटर तक ड्रिलिंग हो पाई है. एसडीआरएफ के नोडल अधिकारी नरेश खेरवाल और उत्तराखंड सरकार के सचिव नीरज खेरवाल ने बताया कि हॉरिजॉन्टल वाले रास्ते को अब रैट माइनिंग के जरिए खोला जाएगा.
अधिकारियों ने बताया कि विकल्प के तौर पर सेना के जवान पहाड़ी के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग कर रहे थे. लेकिन 30 मीटर पर पहुंचने के बाद वहां पानी निकल आया. जिसकी वजह से ड्रिलिंग का काम बंद करना पड़ा. उन्होंने कहा कि चट्टान की परत जानने के लिए 8 इंच की ड्रिलिंग की जाएगी. NHIDCL के एमडी महमूद अहमद ने बताया कि अब हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग वाले रास्तों को खोलने के लिए रैट माइनिंग की जाएगी. लेकिन क्या आप जानते है रैट माइनिंग क्या होती है?
क्या होती है रैट माइनिंग?
दरअसल, चूहे की तरह कम जगह में तेज खुदाई करने वाले विशेषज्ञों की एक टीम होती है. यह टीम छोटे औजारों के बल पर सुरंग में हाथ से खुदाई करती है. इसके लिए उनके पास हथौड़ा, साबल और खुदाई करने वाले अन्य टूल्स मौजूद रहते हैं. इस टीम को रैट माइनर्स कहते हैं. 6 रैट माइनर्स की एक टीम उत्तरकाशी पहुंच गई है. उनके पास दिल्ली और अहमदाबाद में ऐसे ऑपरेशन करने का अनुभव है. यही लोग बचे 32 मीटर ड्रिलिंग का काम करेंगे और मजदूरों को बाहर निकालेंगे. सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी.
रैट माइनर्स कैसे करते हैं काम?
रैट माइनर्स सबसे खास बात तो यह है कि खुदाई के दौरान पाइपलाइन में सिर्फ दो लोग ही एक बार में जाते हैं. एक आगे का रास्ता बनाता और दूसरा मलबे को ट्रॉली में भरता है. बाहर खड़े 4 लोग पाइप के अंदर से मलबे वाली ट्रॉली को रस्सी से बाहर खींचते हैं. एक बार में 6 से 7 किलो मलबा ही बाहर निकाला जाता है. अंदर खुदाई करने वाले लोग जब थक जाते हैं तो बाहर से नए दो लोग अंदर जाते हैं और आगे का कार्य करते हैं.
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राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि ‘रैट माइनर्स’ ने अभी खुदाई का काम शुरू नहीं किया है. हैदराबाद से मंगाए गए प्लाज्मा कटर की मदद से ऑगर मशीन के टूटे हुए हिस्सों को मलबे से हटा दिया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार 12 नवंबर से सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है.
हसनैन ने कहा कि निजी और सार्वजनिक, दोनों एजेंसियां बचाव अभियान में जुटी हुई हैं. प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी.के. मिश्रा, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला और उत्तराखंड के मुख्य सचिव एस.एस. संधू ने भी जारी बचाव अभियान का जायजा लिया.
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