Uttarakhand Tunnel Rescue: कौन हैं दक्ष ब्रदर्स जो उत्तराखंड सुरंग हादसे में मजदूरों के लिए देवदूत बन उतरे 

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Nov 23, 2023, 08:36 AM IST

Uttarakhand Tunnel Rescue

DRDO Daksh Brothers: उत्तराखंड के सिलक्यारा टनल हादसे में रेस्क्यू ऑपरेशन अपने आखिरी चरण में है और इसमें डीआरडीओ के दो खास सिपाही दक्ष ब्रदर्स भी अपना योगदान दे रहे हैं.कौन है ये ब्रदर्स की जोड़ी और क्या काम कर रहे हैं जानें यहां. 

डीएनए हिंदी: उत्तराखंड के सिलक्यारा सुरंग (Silkyara Tunnel) में बीते 11 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है. मजदूरों के सुरक्षित लौट आने के लिए पूरे देश में दुआ हो रही है. इनके रेस्क्यू के लिए दो भाइयों दक्ष ब्रदर्स की काफी चर्चा है. सब जानना चाहते हैं कि आखिर कौन हैं ये दक्ष ब्रदर्स जो देवदूत बनकर सुरंग में उतरे हैं. दरअसल रेस्क्यू ऑपरेशन में डीआरडीओ (DRDO) भी मैदान में उतर गया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास परिषद यानी डीआरडीओ ने अपने दो खास सिपाहियों ‘दक्ष मिनी’ और ‘दक्ष स्काउट’ को भेजा है. इन्हें ही दक्ष ब्रदर्स कहा जाता है. ये दोनों एक रिमोट संचालित वाहन हैं और आपात परिस्थितियों में इनका इस्तेमाल किया जाता है.

उत्तराखंड सुरंग हादसे में इन दोनों को उतारा गया है और छोटे से दिखने वाले ये दोनों रोबोट बहुत सारी क्षमताओं से लैस हैं. अब तक मिली जानकारी के मुताबिक रेस्क्यू ऑपरेशन अब अपने आखिरी चरण पर है और मजदूरों के परिवार वाले बस अपनों के लौट आने की प्रार्थना में बाट जोह रहे हैं. सुरंग के बाहर एंबुलेंस तैनात हैं और रेस्क्यू के बाद सभी नजदूरों को पहले मेडिकल चेकअप के लिए ले जाया जाएगा. 11 दिनों से पूरे देश में इनकी सलामती के लिए दुआओं का दौर जारी है. 

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दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट में है कई खूबियां 
दक्ष मिनी और दक्ष स्काउट की खास बात यह है कि इनको बहुत छोटी सी जगह में भी संचालित किया जा सकता है. डीआरडीओ ने इनकी क्षमता के बारे में बताते हुए कहा है कि ये दोनों सिंगल चार्जिंग से 2 घंटे तक चल सकते हैं. इनको रिमोट से संचालित किया जाता है और 200 मीटर की दूरी तक संचालित किए जा सकते हैं. इसके अलावा एक बार में 20 किलो तक का वजन उठा सकते हैं और दक्ष मिनी में हाई रेजोल्यूशन कैमरे भी लगे हैं. इससे रेस्क्यू ऑपरेशन के बारे में सटीक जानकारी मिलती है. दक्ष स्काउट की बात करें तो यह सर्विलांस व्हीकल है. यह सीढ़ियां चढ़ने, ऊंचाई पर आगे बढ़ने से लेकर किसी भी तरह के सतह पर चलने में सक्षम है. 

आखिरी स्टेज पर है रेस्क्यू ऑपरेशन 
टनल हादसे में मजदूरों को निकालने का ऑपरेशन आखिरी स्टेज पर चल रहा है. अमेरिकी ऑगर मशीन ठीक करने के लिए दिल्ली से एक्सपर्ट को बुलाया गया है.  48 मीटर मलबे वाले हिस्से तक 800 मिलीमीटर व्यास वाले आठ पाइप डाले जा चुके हैं. आखिरी पाइप डालने में आने वाली बाधा को सरिया से काट दिया गया है. सुरंग के बाहर एंबुलेंस और प्राथमिक उपचार के लिए जरूरी सारे साधन तैयार हैं. पूरा देश जिंदगी की जद्दोजहद लड़ रहे इन मजदूरों के सुरक्षित घर लौटने के लिए प्रार्थना कर रहा है. 

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