डीएनए हिंदी: उत्तराखंड़ के उत्तरकाशी की एक सुरंग में फंसे 41 मजूदरों को आज 9 दिन हो गए हैं. मजदूरों को बचाने की हर रोज की उम्मीद समय बीतने के साथ-साथ आगे खिसकती जा रही है. मजदूरों को निकालने के लिए युद्ध स्तर का रेस्क्यू ऑपरेशन चल रहा है लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिल सकी है. 6 इंच के पाइप के जरिए पीड़ितों को खाना पीना और ऑक्सीजन भेजी जा रही है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तराखंड़ के सीएम को फोन कर श्रमिकों के हालात का जायजा लिया.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे कहा कि केंद्र सरकार द्वारा बचाव कार्य में उपयोग के लिए आवश्यक उपकरण व संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं और केंद्र और राज्य की एजेंसियों के परस्पर समन्वय से श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया जाएगा. प्रधानमंत्री ने फंसे श्रमिकों का मनोबल बनाए रखने की जरूरत पर भी जोर दिया. उन्होंने कहा कि मैंने पीएम मोदी को जानकारी देते हुए बताया कि राज्य और केंद्र की विभिन्न एजेंसियां विशेषज्ञों की राय लेकर परस्पर समन्वय और तत्परता के साथ राहत और बचाव कार्य में जुटी हैं. सुरंग के अंदर फंसे सभी मजदूर सुरक्षित हैं और उन्हें जल्द बाहर निकलने की पूरी कोशिश की जा रही है. कई मेडिकल टीमें भी तैनात कर दी गई हैं.
दिवाली के दिन हुआ था हादसा
गौरतलब है कि 12 नवंबर को दीवाली वाले दिन हुए सुरंग हादसे के बाद से अब तक प्रधानमंत्री तीन बार मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ले चुके हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय की टीम भी मौके का निरीक्षण कर चुकी है और लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है. महत्वाकांक्षी चारधाम सड़क परियोजना के तहत यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही साढ़े चार किलोमीटर लंबी सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा ढहने से उसके अंदर काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए, जिन्हें निकाले जाने के लिए युद्धस्तर पर बचाव और राहत अभियान जारी है.
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कितनी लंबी है सुरंग?
ब्रह्माखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर सिल्क्यारा और डंडालगांव के बीच जिस सुरंग में मजदूर फंसे हैं उसकी कुल लंबाई 4.5 किलोमीटर है. सिल्कयारा की ओर से 2,340 मीटर (2.3 किमी) और डंडालगांव की ओर से 1,750 मीटर तक निर्माण किया गया है. सुरंग के दोनों किनारों के बीच 441 मीटर की दूरी पर निर्माण होना था. अधिकारियों ने कहा कि सुरंग सिल्क्यारा की तरफ से ढही है. सुरंगा का जो हिस्सा ढहा है वो एंट्री गेट से 200 मीटर की दूरी पर है.
रेस्क्यू लिए बनाए गए 5 प्लान
अधिकारियों ने कहा कि 42 मीटर का काम हो चुका है और जल्द ही मजदूरों तक पहुंच जाएंगे. उन्हें फिलहाल 6 इंच के पाइप के जरिए खाना पीना और ऑक्सीजन दिया जा रहा है. अभी केवल काजू पिस्ता और मेवे ही भेजे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए पांच प्लान बनाए गए हैं. जिनकी जिम्मेदारी, NHIDCL, ओनजीसी, टीएचडीसी, आरवीएनएल और एसजेवीएनएल को दी गई है.
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