हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh Political Crisis) इस वक्त अचानक सुर्खियों में आ गया है. राज्यसभा चुनाव के लिए मतदान के साथ ही प्रदेश की राजनीति में हलचल शुरू हो गई है. कांग्रेस के 9 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की और फिर मंगलवार की सुबह पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे ने रोते हुए मंत्री पद से अपना इस्तीफा दिया था. अब खबर है कि एक दिन भी पूरा नहीं बीता है और उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. बीजेपी ने सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के इस्तीफे का भी दावा किया था, लेकिन बाद में सीएम ने उसे कोरी अफवाह बताकर खारिज कर दिया.
विक्रमादित्य सिंह के साथ कांग्रेस हाई कमान का समझौता?
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने अपना इस्तीफा वापस लेते हुए कहा कि वह पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं. सुबह पद से इस्तीफा देते हुए कहा था कि वीरभद्र सिंह के नाम पर चुनाव लड़ा गया था. एक दिन पहले तक उनके नाम से विज्ञापन दिए गए थे. सरकार बनी, लेकिन हमने उनके वादों को पूरा नहीं किया.
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पिछले कई महीनों से जारी है बगावती तेवर
हिमाचल सरकार में विक्रमादित्य जहां मंत्री हैं वहीं उनकी मां प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हैं. हालांकि, सिंह और उनके परिवार के बगावती तेवर पिछले कई महीनों से नजर आ रहे हैं. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी विक्रमादित्य शामिल हुए थे और उनकी मां प्रतिभा सिंह ने पीएम नरेंद्र मोदी की तारीफ की थी. माना जा रहा है कि सीएम नहीं बनाए जाने से परिवार हाई कमान से नाराज है.
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सुक्खू ने बताया था छोटा भाई
विक्रमादित्य सिंह का इस्तीफा स्वीकार करने से सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इनकार करते हुए कहा था कि वह मेरे भाई हैं. सवाल ही नहीं उठता कि उनका इस्तीफा स्वीकार हो जाए. हिमाचल प्रदेश के प्रभावी राजीव शुक्ला ने कहा कि उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है. वह कांग्रेस के समर्पित नेता हैं. विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस्तीफा स्वीकार करना या नहीं करना सीएम का अधिकार है. मैं किसी का दबाव नहीं लेता हूं.
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