डीएनए हिंदी: पूर्व सेनाध्यक्ष और बीजेपी सांसद जनरल वीके सिंह ने अग्रिनपथ योजना का विरोध करने वाले प्रदर्शनकारियों को सख्त अंदाज में चेताया है. उन्होंने कहा कि अगर किसी को यह योजना पसंद नहीं है तो उसके लिए जरूरी नहीं है कि वह सेना में भर्ती हो. सिंह ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के इस योजना को बीजेपी का फर्जी राष्ट्रवाद कहने पर आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि वह शायद राहुल गांधी से हो रही ईडी की पूछताछ से नाराज हैं.
Agnipath Protest में हुई हिंसा पर बरसे केंद्रीय मंत्री
बीजेपी सांसद और मोदी सरकार में राज्यमंत्री वीके सिंह ने अग्निपथ योजना का विरोध करनेवाले प्रदर्शनकारियों को आड़े हाथों लिया है. उन्होंने नागपुर के एक कार्यक्रम में कहा कि अगर उन्हें सशस्त्र बलों में भर्ती की नई नीति पसंद नहीं है तो वे सशस्त्र बलों में शामिल न हों और इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है. अगर आपको योजना पसंद नहीं है तो आप न हों शामिल. कौन आपसे आने के लिए कह रहा है?
मीडिया से बात करते हुए पूर्व सेनाध्यक्ष ने कहा कि भारतीय सेना जबरदस्ती सैनिकों की भर्ती नहीं करती है. अनुशासन और नियमों का पालन भारतीय सेना के मूल्य हैं और जो ऐसा नहीं कर सकते हैं उनके लिए सेना में कोई जगह नहीं है.
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Priyanka Gandhi पर साधा निशाना
बीजेपी सांसद ने विरोध कर रहे विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और दूसरे विपक्षी दल सरकार के सबसे अच्छे कामों में भी सबसे ज्यादा कमी निकालते हैं. उन्होंने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि शायद प्रवर्तन निदेशालय उनके भाई राहुल गांधी से पूछताछ कर रही है और वह इससे नाराज हैं.
बता दें कि 19 जून को राहुल गांधी ने अपने 52वें जन्मदिन के मौके पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से अग्निपथ योजना के विरोध में हो रहे प्रदर्शन को देखते हुए किसी भी तरह का समारोह रद्द करने का आग्रह किया था. राहुल से यंग इंडिया और नेशनल हेराल्ड केस मामले में प्रवर्तन निदेशालय की पूछताछ जारी है.
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करगिल युद्ध के बाद अग्निपथ योजना का विचार आया था
वीके सिंह ने कहा कि अग्निपथ योजना को साकार देने की कोशिश अचानक नहीं की गई है. करगिल युद्ध के बाद से ही इस पर विचार किया जा रहा था. उन्होंने कहा,'अग्निपथ योजना की अवधारणा की कल्पना 1999 के युद्ध के बाद करगिल समिति के गठन के समय की गई थी. भारत के युवाओं और अन्य नागरिकों के लिए अनिवार्य सैन्य प्रशिक्षण की मांग पिछले 30 से 40 वर्षों से की जा रही है. अतीत में कहा जाता था कि प्रशिक्षण एनसीसी के माध्यम से दिया जा सकता है लेकिन सैन्य प्रशिक्षण की मांग हमेशा से थी.'
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