इस्लाम छोड़ हिंदू बने वसीम रिजवी ने बदली जाति, बताई ये बड़ी वजह, पहले बने थे 'त्यागी', जानिए अब क्या हैं?

Written By राजा राम | Updated: Nov 01, 2024, 10:23 AM IST

UP News: अपने बयानों से लगातार सुर्खियों में बने रहने वाले वसीम रिजवी एक बार फिर चर्चा में हैं. कुछ समय पहले इस्लाम छोड़कर हिंदू धर्म अपनाने के बाद अब उन्होंने अपने नाम में एक बार फिर बड़ा बदलाव किया है.

UP News: पूर्व शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने 2021 में इस्लाम धर्म छोड़कर हिंदू धर्म को अपना लिया था. उन्होंने दिवाली के मौके पर एक बार फिर से अपने नाम और पहचान में बदलाव किया है. बता दें कि, वह हिंदू धर्म अपनाने के बाद वे ‘जितेंद्र नारायण त्यागी’ के नाम से जाने जाते थे, लेकिन अब उन्होंने अपने नाम में एक और बदलाव करते हुए ‘जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर’ नाम से खुद को पहचान दी है. जिसके बाद  वे त्यागी ब्राह्मण से ठाकुर वर्ग में आ गए हैं.

धार्मिक और जातीय पहचान में बदलाव से बढ़ी चर्चा
वसीम रिजवी का धर्म और नाम परिवर्तन हमेशा चर्चा का विषय रहा है.  उनके इस कदम ने एक बार फिर उनकी पहचान और छवि को लेकर बहस शुरू कर दी है. उन्होंने दिवाली पर अपने नए नाम के साथ सभी को शुभकामनाएं देते हुए अपनी नई पहचान का ऐलान किया. हिंदू धर्म अपनाने के बाद उन्होंने दावा किया था कि उन्हें इस्लाम धर्म से निष्कासित कर दिया गया है और उनके खिलाफ कई फतवे जारी किए गए थे. अब, एक नई पहचान के साथ, वे एक बार फिर विवादों और चर्चाओं के केंद्र में आ गए हैं. 

विवादित बयानों से हमेशा रहे हैं सुर्खियों में
दरअसल, वसीम रिजवी, जो अब जितेंद्र नारायण सिंह सेंगर के नाम से जाने जाते हैं उनका विवादों से पुराना नाता रहा है. चाहे वह मदरसा शिक्षा को आतंकवाद से जोड़ने की बात हो, या कुतुब मीनार को हटाने का मामला.  उनके विचारों ने शिया और सुन्नी समुदाय दोनों में विरोध उत्पन्न किया है.  कई उलेमाओं ने उनके खिलाफ आवाज उठाई, और उनके बयानों को धार्मिक समुदायों में भी आलोचना मिली है.

संपत्ति में कोई अधिकार नहीं
सेंगर' उपनाम जोड़ने के पीछे की वजह बताते हुए जितेंद्र ने कहा कि गुरुकुल कांगरी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रभात सिंह सेंगर के साथ उनकी गहरी मित्रता है. प्रभात ने उन्हें अपने परिवार का हिस्सा बनने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया. प्रभात की मां, यशवंत कुमारी सेंगर ने कानूनी हलफनामे के जरिए उन्हें अपना बेटा माना है, लेकिन इसके बावजूद संपत्ति में उनका कोई अधिकार नहीं होगा.


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परिवार ने तोड़ा रिश्ता
रिजवी के धर्म परिवर्तन के बाद उनके परिवार ने उनसे संबंध तोड़ लिया था. उनके इस फैसले के बाद उनकी मां और भाई ने उनसे नाता तोड़ दिया. इस्लाम के धर्मगुरुओं ने उनके खिलाफ फतवे जारी किए, जिससे वे खुद को इस्लाम से अलग मानने लगे. उनका यह कदम इस्लाम के भीतर भी अस्वीकार्यता का कारण बना और उनके मुस्लिम समुदाय से संबंध पूरी तरह से समाप्त हो गए.

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