प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 21वें भारत-आसियान शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत-आसियान मित्रता बहुत महत्वपूर्ण है. यह बात उन्होंने ऐसे समय कही जब विश्व के कई देश युद्ध से जूझ रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने 10 साल पहले ‘एक्ट ईस्ट नीति’ की घोषणा की थी. पिछले दशक में इसने भारत और आसियान देशों के बीच ऐतिहासिक संबंधों को नई ऊर्जा, दिशा और गति दी.
दक्षिण चीन सागर में समुद्री मुद्दों को लेकर फिलीपींस और चीन के बीच तनाव चल रहा है. म्यांमार में भी संकट है, जहां जातीय समूह सैन्य शासन से संघर्ष कर रहे हैं. मोदी ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि 21वीं सदी, जिसे एशियाई सदी भी कहा जाता है. यह भारत और आसियान देशों की सदी है. उन्होंने कहा, ‘भारत-आसियान सदस्य, समन्वय वार्ता और सहयोग ऐसे समय में बहुत महत्वपूर्ण है जब विश्व के कई हिस्से संघर्ष और तनाव का सामना कर रहे हैं.’
'हम शांति प्रिय देश'
पीएम मोदी ने कहा कि भारत और आसियान देश पड़ोसी हैं. हम शांति प्रिय देश हैं और एक दूसरे की राष्ट्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करते हैं. हमारा लक्ष्य युवाओं के उज्ज्वल भविष्य को बनाना है. प्रधानमंत्री ने कहा कि ASEAN की केंद्रीयता को ध्यान में रखते हुए भारत ने 2019 में हिंद-प्रशांत महासागर पहल शुरू की थी. पिछले साल क्षेत्रीय सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए समुद्री अभ्यास शुरू किए गए.’
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उन्होंने कहा कि पिछले दशक में आसियान देशों के साथ भारत का व्यापार दोगुना होकर अब 130 अरब डॉलर से अधिक हो गया है. भारत की आसियान के सात देशों से सीधी उड़ान हैं और ब्रूनेई के लिए सीधी उड़ान जल्द शुरू होंगी. मोदी ने कहा कि भारत ने सिंगापुर के साथ फिनटेक कनेक्टिविटी शुरू की है.
पीएम मोदी ने कहा कि आसियान क्षेत्र के 300 से अधिक छात्रों को नालंदा विश्वविद्यालय से छात्रवृत्ति मिलती है. यह साझेदारी लाओस, कंबोडिया, वियतनाम, म्यांमार और इंडोनेशिया की साझा धरोहर के संरक्षण में भी कारगर साबित हुई है. (PTI इनपुट के साथ)
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