डीएनए हिंदी: पश्चिम बंगाल (West Bengal) में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) सरकार को हाई कोर्ट (High Court) से बड़ा झटका लगा है. हाई कोर्ट की एक बेंच ने राज्य सरकार की दुआरे राशन (Doorstep Ration) योजना को अवैध घोषित कर दिया है. तृणमूल कांग्रेस की यह योजना लोगों के घरों तक सीधे राशन पहुंचाने की थी.
ममता बनर्जी की यह परियोजना, 2021 में शुरू हुई थी. पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने अपने मेनिफेस्टो में वादा किया था कि वह दुआरे राशन योजना को लॉन्च करेंगी. यह योजना लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के बाद ममता बनर्जी ने लॉन्च की थी.
योजना का मकसद था कि लोगों के दरवाजे पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राशन पहुंचाना था. जस्टिस चित्तरंजन दास और जस्टिस अनिरुद्ध रॉय की कलकत्ता उच्च न्यायालय की बेंच ने 'दुआरे राशन परियोजना' को अवैध घोषित कर दिया.
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क्यों कोर्ट ने दुआरे राशन योजना को ठहराया गलत?
हाई कोर्ट ने कहा कि यह परियोजना राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के खिलाफ है और इसलिए इसे बंद कर दिया जाना चाहिए. परियोजना शुरू होने के तुरंत बाद, कोटेदारों ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और इस योजना को खत्म करने की गुहार लगाई थी. उनका कहना था कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत राज्य के लोगों को खाद्यान्न उपलब्ध कराना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है.
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पहले भी कोर्ट पहुंचा था मामला?
जस्टिस अमृता सिन्हा ने इस केस की सुनवाई के दौरान कोटेदारों की याचिका खारिज कर दी थी. इसके बाद उन्होंने दोबारा हाई कोर्ट का रुख किया था. बुधवार को हुई सुनवाई में इस योजना को कोर्ट ने अवैध ठहरा दिया. हाई कोर्ट का यह फैसला पश्चिम बंगाल सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यह मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की महत्वाकांक्षी परियोजनाओं में से एक थी.
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ममता की महत्वाकांक्षी योजना थी दुआरे राशन योजना
विधानसभा चुनावों की तैयारी के दौरान साल 2021 में ममता बनर्जी ने कहा था कि दुआरे राशन योजना के तहत सरकारी राशन की दुकानों पर लगने वाली भीड़ खत्म हो जाएगी. राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करेगी या नहीं, इस बारे में अभी तक कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
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