शनिवार की शाम मुंबई में तीन बंदूकधारी हमलावरों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर बाबा सिद्दीकी की हत्या कर दी. बाबा सिद्दीकी महाराष्ट्र की सियासत में बहुत बड़ा नाम है. बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद सिनेमा जगत से लेकर राजिनीतिक गलियारों तक शोक का महौल है. सिनेमा जगत के कई सितारें ऐसे है जो कि अपने बुरे वक्त का साथी बाबा सिद्दीकी को बताते हैं.
माया नगरी से लेकर बिहार तक शोक
बाबा सिद्दीकी की मौत से केवल मुंबई ही नहीं बल्कि बिहार में भी गम का महौल है. बिहार के लोग भी इनकी मौत से शोक में डूबे हुए है. ऐसा इसलिए क्योंकि बाबा सिद्दीकी का बिहारवासियों के साथ बहुत गहरा और पुराना नाता है. दरअसल बाबा सिद्दीकी मूल रूप से बिहार के रहने वाले थे. उन्होंने माया नगरी जाकर बहुत नाम कमाया.
घड़ी बनाते थे पिता जी
बताते चले की बाबा सिद्दीकी ने अपने जीवन के शुरूआती पांच साल गोपालगंज के टोगी गांव में बिताए थे. गोपालगंज जिले के माझा ब्लॉक के शेख टोली गांव में बाबा सिद्दीकी का पुश्तैनी परिवार रहता है. उनके पिता अब्दुल रहीम सिद्दीकी घड़ी बनाने का काम करते थे. अब्दुल रहीम बाबा सिद्दीकी को पांच साल की उम्र में मुंबई लेकर चले गए थे.
2018 में पहुंचे थे बिहार
जब मायानगरी में उनके नाम की तूती बोलने लगी तो वह 2018 में बिहार के अपने पुश्तैनी गांव पहुंचे थे. गांव पहुंचने पर उन्होंने कहा था कि वह अपने पुश्तैनी घर और जमीन को कभी नहीं भूल सकते हैं. आज जब वह हमारे बीच मौजूद नहीं है तो पूरा गोपालगंज गम की लहरों में तैर रहा है.
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यहां से शुरू हुआ राजनैतिक करियर
बाबा सिद्दीकी के पॉलिटिकल करियर की बात करें तो कांग्रेस पार्टी में चार दशक से ज्यादा का वक्त गुजारने वाला बाबा सीद्दीकी के चाहने वाले सभी दलों में थे. बाबा सिद्दीकी ने अपने करियर की शुरुआत एक 1977 में छात्र नेता के रूप में की थी. वे बीएमसी में कॉरपोरेटर चुने गए.
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