पिछले कुछ सालों में लोगों ने ऐसी-ऐसी खतरनाक बीमारियों का सामना किया है, जिनका नाम उन्होंने कभी नहीं सुना था. कोरोना वायरस के बाद अब चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) सामने आया है, जो बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है. गुजरात और राजस्थान महज दो दिन में 6 बच्चे जान जा चुकी है. इस वायरस से खासकर 9 महीने से लेकर 15 साल तक बच्चे शिकार होते हैं. चांदीपुर वायरस सीधे दिमाग को प्रभावित करता है.
जानकारी के मुताबिक, गुजरात के साबरकांठा और अरवल्ली में चांदीपुर वायरस की चपेट में आने से 4 बच्चों की मौत हो गई. हिम्मतनगर के सिविल हॉस्पिटल में भी इस वायरस से संक्रमित दो बच्चों का इलाज चल रहा है. उनके खून के सैंपल पुणे की राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (NIV) भेजे गए हैं.
गुजरात में अब तक 12 मामले सामने आ चुके हैं. इनमें साबरकांठा में 4, अरवल्ली में 3, महिसागर और खेरा में 1-1 सामने आए. वहीं राजस्थान में 2 और मध्य प्रदेश में चांदीपुरा वायरस का एक केस मिला है.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो चांदीपुरा वायरस पिछले 58 साल से भारत में अपनी पैठ जमाकर बैठा है. बीच-बीच में इसके मामले राज्यों में आते रहते हैं. जिसमें अब तक काफी बच्चे अपनी जान गंवा चुके हैं. खास बात ये है कि यह वायरस पूरी तरह से स्वदेशी है. भारत में ही यह पैदा हुआ और यहीं पर इस वायरस का नामकरण हुआ. अब सवाल ये है कि इसका नाम चांदीपुर ही क्यों रखा गया.
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कैसे पड़ा इस Virus का नाम?
दरअसल, साल 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में बच्चों में एक बीमारी फैली थी. जिसमें 2 महीने से लेकर 15 साल तक के बच्चों की मौत होने लगी. जांच की तो पता चला कि यह एक वायरस है. जो खासकर मादा फ्लोबोटोमाइन मक्खी से फैलता है. इसके फैलने के पीछे मच्छर में पाए जाने वाले एडीज भी जिम्मेदार बताए जाते हैं. इसी गांव के नाम पर इसका नाम चांदीपुरा वायरस (Chandipura Virus) रख दिया गया.
Symptoms of Chandipura Virus
चांदीपुरा वायरस के चपेट में आने वाले बच्चे को अचानक तेज बुखार होता है. इसके बाद उल्टी और दौरे पड़ने जैसी समस्या होती है. फ्लू जैसे लक्षण नजर आते हैं. तेज एन्सेफलाइटिस होती है. जिसके बाद दिमाग में सूजन होने लगती है, जो जानलेवा साबित होती है.
क्या है इसका इलाज?
इस वायरस का सिम्टोमैटिक इलाज है. पीड़ित में जो लक्षण दिखाई देते हैं उसी के अनुसार डॉक्टर इलाज करते हैं. शुरूआत में अगर फ्लू है तो उसी की डॉक्टर दवा देते हैं. इसकी न कोई वैक्सीन है और न बहुत ज्यादा दवाएं. कुछ एंटीवायरल ड्रग हैं जिनसे मरीज का इलाज किया जाता है. इस वायरस के चपेट में आने से बचना है तो अपने घर के आसपास सफाई रखें. कहीं भी जलभराव नहीं होने दें. रात के वक्त फुल आस्तीन के कपड़े पहनें.
(Disclaimer: यह लेख केवल आपकी जानकारी के लिए है. इस पर अमल करने से पहले अपने विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श लें.)
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