सेंगोल क्या है, कौन है बनाने वाला कलाकार, क्या है इसका महत्व? जानिए सबकुछ

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:May 25, 2023, 03:09 PM IST

Sengol History and Photo

Sengol: राजाओं के राज्याभिषेक समारोहों में सेंगोल का अत्यधिक महत्व था. जो एक शासक से दूसरे शासक को सत्ता के हस्तांतरण के रूप में सौंपा जाता था. अब इसे संसद भवन में रखा जाएगा.

डीएनए हिंदी: भारत के नए संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को किया जाएगा. इससे पहले देश के गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि नया संसद भवन हमारे इतिहास, सांस्कृतिक विरासत, परंपरा और सभ्यता को आधुनिकता से जोड़ने का सुंदर प्रयास है. उन्होंने कहा कि नए संसद भवन में सेंगोल स्थापित किया जाएगा. ऐसे में यह जानना जरुरी है कि सेंगोल क्या है और इसका इतिहास क्या है? यह भी बता दें कि सेंगोल बनाने वाले 96 साल के वुम्मिदी एथिराजुलु और 88 साल के वुम्मिदी सुधाकर भी उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे.

अंग्रेजों से भारतीयों को सत्ता के हस्तांतरण के समारोह पर चर्चा के दौरान जवाहरलाल नेहरू से प्रतीकात्मक चिन्हों पर सवाल किए गए थे. इस बारे में नेहरू ने  सी राजगोपालचारी से इस बारे में चर्चा की. जिसके बाद इसे चोल वंश के सत्ता हस्तांतरण के मॉडल से प्रेरणा लेकर इसे बनाया गया. जिसकी जिम्मेदारी थिरूवावदुथुरई को दी गई थी.

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जवाहरलाल नेहरू ने जब देश के पहले पीएम के रूप में सत्ता संभाली तो उन्हें यह दिया गया था. यहां पर आपको बता दें कि यह राज्य के राजगुरु द्वारा ही दिया जाता है. इसी कारण थिरुवदुथुरै अधीनम मठ के राजगुरु ने आजादी मिलने से कुछ मिनट पहले 14 अगस्त की रात को यह लॉर्ड माउंटबैटन को दिया था. जिसके बाद यह नेहरू को दिया गया. 

इन्होंने किया था सेंगोल का निर्माण 

 सेंगोल को तैयार करने का काम चेन्नई के जाने-माने जौहरी वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को सौंपा गया था.  इसे 1 महीने से कम समय में बनाया गया था. इसको बनाने में कुल 15 हजार रुपये का खर्च आया था. सेंगोल के निर्माण में शामिल और वुम्मिदी परिवार के दो सदस्य वुम्मिदी एथिराजुलु (96 वर्ष) और वुम्मिदी सुधाकर (88 वर्ष) आज भी जीवित हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये दोनों उद्घाटन समारोह में शामिल होंगे.

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ऐसा है सेंगोल का आकार 

सेंगोल एक पांच फीट लंबी छड़ी होती है. इसके सबसे ऊपर भगवान शिव के वाहन नंदी विराजमान होते हैं. मान्यता है कि नंदी न्याय व निष्पक्षता को दर्शाते हैं. गौरतलब है कि बीते साल तमिलनाडु में आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर फिर यह मामला उठा. पीएम नरेंद्र मोदी को जब इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने इसकी खोजबीन करने की बात की.

यहां मिला सेंगोल

पीएमओ ने इस मामले को गभींरता से लिया. काफी खोजबीन के बाद जानकारी मिली कि सेंगोल  प्रयागराज संग्रहालय यानी आनंद भवन में रखा था. जिसके बाद पीएम ने इसे लोकसभा में अध्यक्ष के आसन के पास प्रमुखता से स्थापित करने का फैसला लिया. अमित शाह में हाल में इसको लेकर कहा कि सेंगोल की स्थापना के लिए संसद भवन से उपयुक्त और पवित्र स्थान कोई और हो ही नहीं सकता. 

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