क्या है Kashi Tamil Sangamam? जानिए क्या कर रही सरकार और क्या है उद्देश्य

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Dec 03, 2022, 11:46 AM IST

Kashi Tamil

Kasi Tamil Sangam: इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण के ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना है.

डीएनए हिंदी:  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक पखवाड़ा पहले वाराणसी में एक महीने तक चलने वाले कार्यक्रम का उद्घाटन किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य है देश के दो सबसे  महत्वपूर्ण और प्राचीन शिक्षा केंद्रों -  तमिलनाडु और काशी के बीच सदियों पुराने संबंधों का उत्सव मनाना और इसे फिर से इसे मजबूत करना. इसी  कार्यक्रम को केंद्र सरकार ने 'काशी तमिल संगमम्' का नाम दिया है. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में तमिल लोग काशी की यात्रा कर रहे हैं और यहां हो रहे कार्यक्रमों में शिरकत कर रहे हैं.

क्या है 'काशी तमिल संगमम्' का उद्देश्य?

  • काशी तमिल संगमम् उत्तर और दक्षिण भारत के ऐतिहासिक और सभ्यतागत संबंधों का जश्न मनाता है.
  • इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य उत्तर और दक्षिण के ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं को करीब लाना है.
  • उत्तर और दक्षिण भारत में साझा विरासत की समझ पैदा करना और क्षेत्रों के बीच लोगों से लोगों के बंधन को गहरा करना है.
  • IIT मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) कार्यक्रम के लिए दो कार्यान्वयन एजेंसियां हैं.

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क्या है सांस्कृतिक महत्व?

  • 15 वीं शताब्दी में मदुरै के आसपास के क्षेत्र पर शासन करने वाले राजा पराक्रम पांड्या भगवान शिव का एक मंदिर बनाना चाहते थे. उन्होंने शिव मंदिर में शिवलिंग स्थापित करने के लिए काशी की यात्रा की.
  • काशी से शिवलिंग वापस लाते समय राजा एक पेड़ के नीचे विश्राम करने लगे. कहा जाता है कि कुछ देर बाद जब वह आगे चलने के लिए बढ़े तो उस गाय ने आगे बढ़ने से इंकार कर दिया जो शिवलिंग लेकर चल रही थी.
  • इसके बाद राजा ने इसे भगवान शिव की मर्जी मान उस शिवलिंग को उसी जगह पर स्थापित किया दिया. इसके बाद वह जगह शिवकाशी के नाम से पहचानी गई. यह आज तमिलनाडु के महत्वपूर्ण शहरों में से एक है.
  • उन दिनों जो भक्त काशी नहीं जा सकते थे, उनके लिए पांड्यों ने काशी विश्वनाथर मंदिर का निर्माण किया. यह आज तेनकासी के नाम से पहचाना जाता है. यह केरल के साथ तमिलनाडु की सीमा के करीब है.

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