पुलिस से झड़प के बाद लाठीचार्ज का आरोप, जानिए कौन हैं वारकरी समुदाय के लोग, क्यों हुआ विवाद

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 12, 2023, 09:17 AM IST

Warkari Community

Warkari Community News: वारकरी समुदाय के लोगों पर लाठीचार्ज के मामले में विपक्ष ने कार्रवाई की मांग की है. देवेंद्र फडणवीस ने लाठीचार्ज की बात से इनकार किया है.

डीएनए हिंदी: महाराष्ट्र के पुणे में रविवार को वारकरी समुदाय के अनुयायियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई. विपक्षी पार्टियां आरोप लगा रही हैं कि पुलिस ने वरकारियों पर जमकर लाठीचार्ज किया. महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम और गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि छोटी-मोटी झड़प जरूर हुई है लेकिन लाठीचार्ज नहीं किया गया है. विपक्ष ने इस घटना की उच्च स्तरीय जांच और कार्रवाई की मांग की है. घटना का वीडियो भी सामने आया है जिसमें देखा जा सकता है कि सैकड़ों की संख्या में जुटे वरकारियों की भीड़ में भदगड़ मच गई है और पुलिस से हाथापाई भी हो रही है.

यह घटना उस वक्त हुई जब वारकरी समुदाय के सैकड़ों श्रद्धालु आलंदी शहर में संत ज्ञानेश्वर महाराज समाधि मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे. देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में कहा, 'हमने पिछले साल उसी स्थान (आलंदी) पर हुई भगदड़ जैसी स्थिति से सबक लिया और अलग-अलग समूहों को प्रवेश पास देने की कोशिश की. तीर्थयात्रा में शामिल होने वाले प्रत्येक समूह को 75 पास जारी करने का फैसला किया गया.' 

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उन्होंने कहा कि लगभग 400-500 युवाओं ने जोर देकर कहा कि वे तीर्थयात्रा में शामिल होंगे और प्रवेश के लिए तय नियम का अनुपालन नहीं करेंगे. फडणवीस ने कहा, 'इन लोगों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए.' राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने दावा किया कि वरकारियों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और उन्होंने इस घटना की निंदा की.

कौन हैं वारकरी समुदाय के लोग?
मुख्य रूप से महाराष्ट्र और उत्तरी कर्नाटक में पाए जाने वाला वारकरी समुदाय भगवान विट्ठल का भक्त है. वारकरी का अर्थ होता है- जो अपने आस्था स्थल की बार-बार यात्रा करता हो. इस समुदाय के लोग आम तौर पर धोती, अंगवस्थ, उपरना और टोपी पहनते हैं. इसके अलावा, हाथ में वीणा, गले में तुलसी की माला और कंधे पर भगवा झंडा भी इनकी पहचान का अहम हिस्सा होता है. वारकरी लोग गले, माथे, छाती के दोनों और, दोनों हाथ, कान और पेट पर चंदन भी लगाते हैं.

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शंकराचार्य के अद्वैतवाद में विश्वास रखने वाले इस समुदाय की स्थापना संत ज्ञानदेव यानी ध्यानेश्वर को इसका संस्थापक माना जाता है. ज्ञानदेव ने ही ज्ञानेश्वरी की रचना की थी जिसे गीता का सरल संस्करण कहा जाता है. इस समुदाय के गुरुओं में संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत तुकाराम, संत चोखामेला और संत गाडगे महाराज शामिल हैं.

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