डीएनए हिंदी: देश के राष्ट्रपति पद के चुनाव (President Election 2022) के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अगुवाई वाले नेशनल डेमोक्रैटिक अलायंस (NDA) ने आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupdi Murmu) को अपना उम्मीदवार बना दिया है. अगर वह राष्ट्रपति बन जाती हैं तो वह देश के सर्वोच्च नागरिक के पद पर पहुंचने वाली पहली आदिवासी महिला (Tribal Women) होंगी. अब राष्ट्रपति चुनाव में उनका मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) से होना है. 21 जुलाई को इस बात का फैसला हो जाएगा कि राष्ट्रपति के पद पर द्रौपदी मुर्मू आसीन होंगी या यह कुर्सी यशवंत सिन्हा को मिलेगी.
झारखंड की राज्यपाल बनने के साथ ही द्रौपदी मुर्मू ने देश की पहली आदिवासी महिला राज्यपाल होने का कीर्तिमान स्थापित किया था. झारखंड के राज्यपाल के तौर पर कुल 6 साल एक महीने और 18 दिन का उनका कार्यकाल निर्विवाद रहा था. झारखंड के प्रथम नागरिक और विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति के रूप में उनकी पारी यादगार रही. कार्यकाल पूरा होने के बाद वह 12 जुलाई 2021 को झारखंड से राजभवन से उड़ीसा के रायरंगपुर स्थित अपने गांव के लिए रवाना हुई थीं और इन दिनों वहीं प्रवास कर रही हैं.
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राज्यपाल का कार्यकाल रहा साफ-सुथरा
18 मई, 2015 को झारखंड की राज्यपाल के रूप में शपथ लेने के पहले द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक और एक बार राज्यमंत्री के रूप में काम कर चुकी थीं. राज्यपाल के तौर पर पांच वर्ष का उनका कार्यकाल 18 मई 2020 को पूरा हो गया था लेकिन कोरोना के कारण राष्ट्रपति द्वारा नई नियुक्ति नहीं किए जाने के कारण उनके कार्यकाल का स्वत: विस्तार हो गया था. अपने पूरे कार्यकाल में वह कभी विवादों में नहीं रहीं.
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20 जून 1958 को ओडिशा में एक साधारण संथाल आदिवासी परिवार में जन्मीं द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी. वह 1997 में ओडिशा के रायरंगपुर में जिला बोर्ड की पार्षद चुनी गई थीं. राजनीति में आने के पहले वह द्रौपदी मुर्मू श्री अरविंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में मानद सहायक शिक्षक और सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के रूप में काम कर चुकी थीं.
नवीन पटनायक सरकार में मंत्री रही हैं द्रौपदी मुर्मू
द्रौपदी मुर्मू ओडिशा में दो बार विधायक रह चुकी हैं और उन्हें नवीन पटनायक सरकार में मंत्री पद पर भी काम करने का मौका मिला था. उस समय बीजू जनता दल (बीजेडी) और बीजेपी के गठबंधन की सरकार थी. ओडिशा विधानसभा ने द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से भी नवाजा था.
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झारखंड के जनजातीय मामलों, शिक्षा, कानून व्यवस्था, स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर वह हमेशा सजग रहीं. कई मौकों पर उन्होंने राज्य सरकारों के फैसलों में संवैधानिक गरिमा और शालीनता के साथ हस्तक्षेप किया. विश्वविद्यालयों की पदेन कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यकाल में राज्य के कई विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपति के रिक्त पदों पर नियुक्ति हुई.
विनोबा भावे विश्वविद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक प्रो. डॉ शैलेश चंद्र शर्मा याद करते हैं कि उन्होंने राज्य में उच्च शिक्षा से जुड़े मुद्दों परखुद लोक अदालत लगाई थी, जिसमें यूनिवर्सिटी के शिक्षकों और कर्मचारियों के लगभग पांच हजार मामलों का निबटारा हुआ था. राज्य के विश्वविद्यालयों में और कॉलेजों में नामांकन प्रक्रिया केंद्रीयकृत कराने के लिए उन्होंने चांसलर पोर्टल का निर्माण कराया.
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