डीएनए हिंदी: चंद्रयान-3 की कामयाबी पर पूरा देश अपने वैज्ञानिकों पर गर्व कर रहा है. दशकों से चांद पर उतरने की कोशिश में लगे भारत को तीसरे प्रयास में कामयाबी मिली है. ऐसे में कई रोचक तथ्य भी सामने आ रहे हैं. चंद्रयान के नाम को लेकर हो रही चर्चाओं के बीच सामने आया है कि पहले इस मिशन का नाम कुछ और ही था. उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक सुझाव दिया और इसका नाम चंद्रयान रखा गया. पहले इसका नाम सोमयान रखा गया था. बता दें कि सोम का अर्थ भी चंद्रमा ही होता है. ऐसे में दो दशक पहले के अटल बिहारी वाजपेयी के उस विजन को भी याद किया जा रहा है जिसने चंद्रमा पर पांव रखने के इस मिशन को बल दिया.
साल 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी ही देश के प्रधानमंत्री थे जब चंद्रयान मिशन को मंजूरी दी गई. इसके 9 साल बाद यानी 2008 में चंद्रयान-1 लॉन्च किया गया. 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च किया गया जो कि आंशिक तौर पर ही सफल हो पाया और चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश नाकाम हो गई. इसके ठीक चार साल के बाद भारत ने चंद्रयान-3 मिशन के तहत तीसरा प्रयास किया और चांद के उस हिस्से पर अपना लैंडर विक्रम उतारा जहां आज तक दुनिया का कोई देश नहीं उतर पाया है.
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स्वतंत्रता दिवस पर किया था ऐलान
अटल बिहारी वाजपेयी ने न सिर्फ नाम बदलने का सुझाव दिया था बल्कि वैज्ञानिकों से कहा था कि चंद्रमा का अध्यन करने की योजना को आगे बढ़ा बढ़ाएं. उन्होंने उस वक्त कहा था कि देश एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है इसलिए यह चंद्रयान मिशन चांद पर कई अहम खोजपूर्ण यात्राएं करने में सफल होगा.
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1999 में ऐलान के बाद 2003 इस पर काम शुरू हुआ. इसी साल स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा कि अब हमारा देश विज्ञान के क्षेत्र में उड़ान भरने को तैयार है. उन्होंने लाल किले से ही चंद्रयान के नाम का ऐलान किया और कहा कि पहला मिशन 2008 में उड़ान भरेगा.
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