कौन हैं पूर्व IPS देबाशीष धर, वर्दी छोड़ बीरभूम से बने BJP के कैंडिडेट लेकिन नामांकन हुआ रद्द

Written By कविता मिश्रा | Updated: Apr 28, 2024, 09:29 AM IST

EX IPS Debasish Dhar (File Photo)

खाकी से राजनीति में कदम रखने वाले देबाशीष धर को झटका लगा. नो ड्यूज सर्टिफिकेट नहीं देने के कारण देबाशीष की उम्मीदवारी रद्द कर दी गई है.

लोकसभा चुनाव 2024 के रण में कई पूर्व अधिकारी भी अपनी किस्मत अजमा रहे हैं. इसी में पूर्व IPS देबाशीष धर भी शामिल हैं, जो वर्दी छोड़कर राजनीति में आ गए. उनपर भरोसा जताते हुए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन्हें पश्चिम बंगाल में बीरभूम से उम्मीदवार बनाया लेकिन उनका संसद में पहुंचने का सपना टूट गया. इसके पीछे की वजह है कि नो ड्यूज सर्टिफिकेट प्रस्तुत नहीं कर पाने पर चुनाव आयोग ने उनका नामांकन रद्द कर दिया. 

 देबाशीष धर ने पिछले महीने आईपीएस पद से इस्तीफा दे दिया था. 2010 बैच के आइपीएस अधिकारी देवाशीष धर ने राज्य के मुख्य सचिव बीपी गोपालिका को अपना इस्तीफा पत्र भेजा था. उन्होंने  व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था. चुनाव से ठीक पहले अचानक इस्तीफे के बाद उनके राजनीति में आने की चर्चा तेज हो गई थी. उनके राजनीति में आने के कयास सही साबित हुए और बीजेपी ने उन्हें बीरभूम से टिकट दे दिया था. देबाशीष धर का नामांकन रद्द होने के बाद भाजपा ने देबतनु भट्टाचार्य को अपना नया उम्मीदवार घोषित किया है, भट्टाचार्य ने नामांकन भी कर दिया. 

 


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क्यों रद्द हुआ पूर्व IPS का नामांकन 

दिल्ली उच्च न्यायालय के 2016 के एक फैसले में कहा गया था कि यदि किसी उम्मीदवार के पास पिछले 10 वर्षों से विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं का कोई बकाया नहीं है तो नामांकन फॉर्म में प्रत्येक एजेंसी से नो-ड्यूज़ प्रमाणपत्र देना होगा। अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उनका नामांकन अवैध माना जाएगा. देबाशीष धर के मामले में भी ऐसा ही हुआ है. आयोग ने कहा कि जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 36 के मुताबिक देबाशीष धर का नामांकन रद्द करने योग्य है. 


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कौन हैं पूर्व IPS देबाशीष धर (Who is EX IPS Debasish Dhar)

 पश्चिम बंगाल में 2021 हए विधानसभा चुनाव के दौरान कूच बिहार के शीतलकूची में एक बूथ पर अशांति के दौरान सीआईएसएफ जवानों ने फायरिंग कर दी थी, जिसमें चार ग्रामीणों की मौत हो गई थी. देवाशीष धर ही कूचबिहार के पुलिस अधीक्षक (एसपी) थे. उस घटना के बाद से ही वह ममता बनर्जी सरकार के निशाने पर थे. देबाशीष धर को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था लेकिन उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण का रुख किया और आदेश रद्द कर दिया गया. इसके अलावा उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का मामला भी दर्ज है. इस मामले में भी उनके खिलाफ जांच चल रही है. 

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