ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय मूल की प्रोफेसर निताशा कौल इन दिनों चर्चा में हैं. निताशा ने दावा किया है कि बेंगलुरु हवाई अड्डे के अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में लिया और फिर डिपोर्ट कर दिया. वह कर्नाटक सरकार के एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने आ रही थी. निताशा कौल अपने लेखों और बयानों की वजह से चर्चा में रही हैं. उनके दावे के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उन्हें 'भारत विरोधी तत्व' करार दिया है.
दरअसल, प्रोफेसर निताशा कौल कर्नाटक में होने वाले कांग्रेस के एक कार्यक्रम में शामिल होने आ रही थीं. उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट करके यह दावा किया है कि उन्हें बेंगलुरु हवाई अड्डे से बिना कोई कारण बताए प्रवेश करने से मना कर दिया और उन्हें वापस भेज दिया गया. अबतक बेंगलुरु हवाई अड्डे के अधिकारियों ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई है.
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कौन हैं निताशा कौल?
निताशा कौल का जन्म उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में हुआ था. निताशा कौल ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से बीए ऑनर्स किया है. साल 1997 में निताशा लंदन चली गईं थीं. इसके बाद उन्होंने साल 2003 में ब्रिटेन की हल(Hull) यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी में विशेषज्ञता के साथ अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री हासिल की. निताशा ने अर्थशास्त्र और दर्शनशास्त्र में पीएचडी की है. निताशा कौल लंदन में रहने वाली कश्मीरी पंडित हैं और वेस्टमिंस्टर यूनिवर्सिटी में राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों की प्रोफेसर हैं. वह एक उपन्यासकार, लेखिका और कवयित्री भी हैं.
क्या है पूरा मामला?
कर्नाटक सरकार ने 24 और 25 फरवरी को 'संविधान और राष्ट्रीय एकता सम्मेलन 2024' कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें प्रोफेसर निताशा कौल को वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था. हांलाकि, कर्नाटक सरकार ने अब तक इस पर कोई प्रतिक्रया नहीं दिखाई है. निताशा कौल ने कर्नाटक सरकार द्वारा भेजे गए आमंत्रण और कार्यक्रम से जुड़े अन्य पत्रों को सोशल मीडिया पर शेयर किया है.
इस मामले पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की कर्नाटक इकाई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए प्रोफेसर निताशा कौल को 'भारत विरोधी तत्व' और 'भारत तोड़ो ब्रिगेड' का हिस्सा करार दिया है. इसके साथ ही बीजेपी ने एक्स पर कुछ लेखों के शीर्षक पोस्ट करके निताशा कौल को निमंत्रण देने के लिए कर्नाटक सरकार की आलोचना भी की है.
आपको बता दें कि प्रोफेसर निताशा कौल कश्मीर के मुद्दे पर लिखती और बोलती रही हैं. उन्होंने 2019 में भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कश्मीर में मानवाधिकार उल्लंघन के विषय में विदेश मामलों की संयुक्त राज्य अमेरिका की सदन समिति के सामने बयान दिया था. इसके साथ ही उन्होंने 'द कश्मीर फाइल्स' की आलोचना भी की थी.
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