पटना से बड़ी खबर आ रही है. हाल ही में जनता दल यूनिटेड में शामिल हुए मनीष कुमार वर्मा को पार्टी सुप्रीमो नीतीश कुमार ने बड़ी जिम्मेदारी देते हुए पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया है. इस बड़े फैसले पर बिहार की राजनीति को समझने वालों का यही तर्क है कि बिहार में नीतीश, मनीष में अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी देख रहे हैं.
मनीष पूर्व में IAS रह चुके हैं. बिहार में सभी इस बात से परिचित हैं कि नीतीश कुमार के दिल में हमेशा से ही नौकरशाहों के प्रति सॉफ्ट कार्नर रहा है. इतिहास पर नजर डालें तो चाहे वो सरकार चलाना रहा हो या फिर पार्टी संभालना नीतीश की गुड बुक्स में हमेशा ही नौकरशाह रहे हैं.
मनीष के मामले में दिलचस्प ये है कि ये एक ऐसे IAS रहे हैं जो नीतीश के गृह जनपद नालंदा से आते हैं और उन्हीं की जाति के हैं.
कौन हैं मनीष कुमार वर्मा?
IAS की नौकरी छोड़ कर राजनीति में आए मनीष कुमार वर्मा 2000 बैच के आईएएस अधिकारी मनीष मूल रूप से बिहार के नालंदा जिले के रहने वाले हैं. उन्हें ओडिशा कैडर मिला था. ओडिशा में मनीष की पहली पोस्टिंग ब्रह्मपुर में बतौर एसडीएम हुई. इसके बाद 27 दिसंबर 2004 को उन्हें मलकांगिरि का डीएम बनाया गया.
मनीष सीएम नीतीश कुमार से खासे प्रभावित हैं. साल 2012 में सीएम नीतीश कुमार के बुलावे पर मनीष बिहार आए जहां उन्हें समाज कल्याण विभाग में निदेशक बनाया गया. बताया जाता है कि ये मनीष के ही प्रयास थे जिसके कारण बिहार में दिव्यांगों के लिए 'परवरिश योजना' की शुरुआत हुई.
मनीष के विषय में दिलचस्प ये भी है कि सीएम से नजदीकी के कारण उन्हें 2012 में ही पूर्णिया का डीएम और 2014 में पटना का डीएम बनाया गया.
बहरहाल मनीष को जदयू में राष्ट्रीय महासचिव का महत्वपूर्ण पद देकर एक बार फिर नीतीश कुमार ने बिहार के सियासी गलियारों में भूचाल ला दिया है. माना जा रहा है कि उनके इस फैसले का सीधा असर आने वाले विधानसभा स चुनावों में दिखाई देगा.
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