अक्सर आपने लोगों को कहते सुना होगा कि 'औरत ही औरत की दुश्मन' होती है. दरअसल, ये सच नहीं है. रिमझिम सिन्हा जैसी लड़कियां हैं जो समाज को समझा रही हैं कि 'महिला ही महिला की दोस्त, राज़दार, हमदर्द' सबकुछ है. एक औरत को औरत ही समझ सकती है. कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College & Hospital) में पोस्ट ग्रेजुएट ट्रेनी डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में पूरे देश में रोष है. स्त्री हो या पुरुष सभी न्याय की मांग कर रहे हैं. इसी बीच बुधवार की रात कलकत्ता की सड़कों पर महिलाएं और लड़कियां सड़कों पर उतर आईं.
'रीक्लेम द नाइट' अभियान के तहत प्रदर्शन
महिलाओं ने RG Kar medical college and hospital के बाहर 'रीक्लेम द नाइट' अभियान के तहत विरोध प्रदर्शन किया. कोलकाता निवासी रिमझिम सिन्हा ने इस अभियान के तहत लड़कियों और महिलाओं को इकट्ठा करने का काम किया. कोलकाता के प्रेसिडेंसी यूनिवर्सिटी से समाजशास्त्र पढ़ चुकीं रिमझिम ने जब बुधवार-गुरुवार की रात में ट्रेनी डॉक्टर की हत्या के मामले में कोलकाता की महिलाओं को स्थानीय बस डिपो के पास इकट्ठा होने को कहा तो उन्हें नहीं मालूम था कि ये एक मास मूवमेंट बन जाएगा. उन्हें नहीं मालूम था कि उनका एक फेसबुक पोस्ट इतना बड़ा असर डालेगा.
'द नाइट इज आवर्स' से हुई शुरुआत
29 साल की रिमझिम ने यह अभियान आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के बयान के बाद शुरू किया. जब प्रिंसिपल संदीप घोष ने ट्रेनी डॉक्टर के रात में सेमिनार हॉल में अकेले जाने की बात पर सवाल खड़े किए थे. इस बयान के बाद रिमझिम ने 10 अगस्त को फेसबुक पर लिखा "Girls, Reclaim the Night." उन्होंने 14 अगस्त को 'द नाइट इज आवर्स' नाम से एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया. इस प्रदर्शन का उद्देश्य दिखाना था कि हमें आजादी भले ही 14-15 अगस्त की मध्यरात्रि को मिली लेकिन महिलाओं को आजादी आज भी नहीं मिली है. वे आज भी बेखौफ रात में सड़कों पर नहीं घूम सकती हैं. वे हर उस शख्स को जो हाशिए पर खड़ा है उसे आजादी का जश्न मनाने के लिए आह्वान करती हैं.
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क्या है 'रीक्लेम द नाइट अभियान'
रीक्लेम द नाइट अभियान की शुरुआत 1977 में इंग्लैंड में तब हुई थी जब वहां की एक महिला हत्या कर दी गई थी. तब महिलाओं की मुक्ति के रूप में यह आंदोलन शुरू हुआ था. कोलकाता में भी इसी नाम से अभियान शुरू किया गया और महिलाओं को ट्रेनी डॉक्टर को इंसाफ दिलाने के लिए एक जगह इकट्ठा होने को कहा गया. रिमझिन ने जो आंदोलन शुरू किया उसको दिल्ली, बंगलुरू सभी जगहों से समर्थन मिल रहा है.
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