डीएनए हिंदी: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजे के बाद से ही मुख्यमंत्री पद के दावेदारों को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे थे. कुछ लोग शिवराज सिंह चौहान को दावेदार बता रहे थे तो वहीं कुछ लोग कुछ और नेताओं का नाम ले रहे थे. भाजपा नेतृत्व ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी कौन संभालेगा. विधायक दल की बैठक में मोहन यादव के नाम पर मोहर लगाई गई है. आइए हम आपको बताते हैं कि मोहन यादव कौन है और उनकी राजनीति में एंट्री कैसे हुई है.
मोहन यादव उज्जैन दक्षिण से विधायक हैं और शिवराज सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे. उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का करीबी माना जाता है. 2013 में पहली बार वह विधायक बने थे और 2018 में उन्होंने दूसरी बार उज्जैन दक्षिण सीट से चुनाव जीता था. मार्च 2020 में शिवराज सरकार के दोबारा आने के बाद उन्हें कैबिनेट में जगह दी गई थी.
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उज्जैन में ही हुआ था जन्म
मोहन यादव का जन्म 25 मार्च 1965 को मध्य प्रदेश के उज्जैन में हुआ था. उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के तौर पर ही की थी और छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय हो गए थे. माधव साइंस कॉलेज में 1982 में वह जॉइंट सेक्रेटरी रहे और फिर 1984 में इसी कॉलेज के अध्यक्ष बने. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में वह 1984 में उज्जैन के नगर मंत्री तक पहुंचे. 1988 में उन्हें एबीवीपी के प्रदेश सह मंत्री और राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य बनाया गया. इसके बाद उनका एबीपी में कद बढ़ता ही गया और 1992 परिषद के राष्ट्रीय मंत्री बनाए गए.
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आरएसएस में हुए सक्रिय
1995 में वह रस उज्जैन शाखा के सहखंड कार्यवाह बने और 1997 में भाजयुमो के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने. 2004 में भाजपा के प्रदेश कार्य समिति के सदस्य बने और 2004 से 2010 तक उज्जैन विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष पद तक पहुंचे. 2013 में उन्हें मध्य प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम में जगह मिली. इतना ही नहीं बल्कि उनको उज्जैन के समग्र विकास के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा भी गया.
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