Vice President Election 2022: कौन हैं मार्गरेट अल्वा जिन्हें विपक्ष ने बनाया उपराष्ट्रपति प्रत्याशी?

अभिषेक शुक्ल | Updated:Jul 17, 2022, 08:53 PM IST

कांग्रेस की सीनियर लीडर मार्गेट अल्वा.

Vice President Election 2022: राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई को होने वाला है. उसके कुछ दिन बाद 6 अगस्त को उपराष्ट्रपति चुनाव होगा. एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार हैं.

डीएनए हिंदी: संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) ने कांग्रेस (Congress) की सीनियर लीडर मार्गरेट अल्वा (Margart Alva) को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. मार्गरेट अल्वा विपक्ष की संयुक्त उम्मीदवार होंगी. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) के घर विपक्ष की लंबी बैठक चली. अब सारे विपक्षी दल मार्गरेट अल्वा को समर्थन दे रहे हैं. विपक्ष की तरफ से अल्वा के नाम की घोषणा के बाद अब इस पद के लिए जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) और मार्गरेट अल्वा के बीच सीधा मुकाबला है. उपराष्ट्रपति चुनाव 6 अगस्त को होने वाला है और अब विपक्ष ने भी अपने पत्ते खोल दिए हैं. 

मार्गरेट अल्वा के पास पर्याप्त राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव है. वह 1984 से 1985 तक संसदीय मामलों, युवा और खेल, महिला और बाल विकास मंत्रालय संभाल चुकी हैं. वह विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में केंद्रीय राज्य मंत्री (MoS) रह चुकी हैं.

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कितना है राजनीतिक और संसदीय अनुभव?

मार्गरेट अल्वा संसदीय मुद्दों को भी बेहतर तरीके से जानती है्ं. वह कई हाउस पैनल में सदस्य रही हैं. वह विदेशी मामलों की भी बेहतर समझ रखती हैं. सूचना प्रसारण, महिला विकास, पर्यटन और परिवहन के क्षेत्र में भी वह काम कर चुकी हैं. साल 1974 में उन्हें राज्यसभा भेजा गया था. साल 1999 में वह पहली बार लोकसभा के लिए चुनी गई थीं. फिर उन्होंने संसद का रुख नहीं किया. मार्गरेट अल्वा उत्तराखंड और राजस्थान की राज्यपाल भी रह चुकी हैं. 

कांग्रेस के खिलाफ ही दिखा चुकी हैं बगावती तेवर

मार्गरेट अल्वा अपने साफ-सुथरे बयानों के लिए जानी जाती हैं. वह अपनी पार्टी के खिलाफ ही आवाज उठा चुकी हैं. साल 2008 में उन्हें कांग्रेस में हुए टिकट वितरण पर ऐतराज था जिसमें उन्होंने कहा था कि टिकट की बोली लगाई गई है. कांग्रेस के भीतर इसी दौरान कलह भी मची थी. पार्टी ने आधिकारिक तौर पर उनके दावों का खंडन किया था. उनके राजनीतिक पद को कम कर दिया था. यूपीए सरकार में इसी वजह से उन्हें फिर कोई भी मंत्री पद नहीं दिया गया.

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कांग्रेस में कितना पकड़ रखती हैं अल्वा?

मार्गरेट अल्वा कांग्रेस में बीते एक दशक से निष्क्रिय हैं. अपने ट्विटर बायो में उन्होंने कहीं कांग्रेस का जिक्र नहीं किया है. उन्होंने लिखा है कि वह 5 बार सांसद रह चुकी है्ं. पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यपाल भी रह चुकी हैं. वह लेखक हैं और उनमें साहस और प्रतिबद्धता भरी है. 

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विपक्ष का यह चुनाव जीतना बेहद मुश्किल है. मार्गरेट अल्वा के नामांकन से कई सियासी समीकरणों को साधने की कोशिश हो रही है. ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस अब दक्षिण भारतीय वोटरों को लुभाने की कोशिश कर रही है. लैंगिक समानता की दिशा में भी इसे विपक्ष का अहम कदम माना जा रहा है.

कांग्रेस दे चुकी है बड़ी जिम्मेदारी

मार्गरेट अल्वा अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जानी जाती हैं. शुरुआती दिनों में ही वह कांग्रेस की जी-तोड़ मेहनत करने वाली कार्यकर्ता रही हैं. वह ऑल इंडिया काग्रेस कमेटी की सदस्य भी रही हैं. वह कर्नाटक कांग्रेस की कन्वेनर भी रह चुकी हैं. अब उनका सीधा मुकाबला जगदीप धनखड़ से है.

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